कोलकाता : प्रधानमंत्री आवास योजना में धांधली के आरोप उजागर होने के बाद केंद्र सरकार की एक टीम फिलहाल पश्चिम बंगाल में इस योजना के तहत आवास निर्माण के लिए आवंटित फंड लेने वालों का सर्वे कर रही है। शुक्रवार को यह टीम मालदा पहुंची जहां कुलेश मंडल नाम के एक रेलवे कर्मचारी के घर की तस्वीर ली गई है। वह चुरीअंतपुर ग्राम पंचायत क्षेत्र के निवासी हैं और उनकी दो मंजिली भव्य इमारत है। बावजूद इसके आवास योजना के तहत उनके नाम पर फंड आवंटित किया गया है।
इसी तरह से जरीफ शेख नाम के लकड़ी मिस्त्री का नाम भी इसमें शामिल किया गया है जो कालियाचक दो नंबर ब्लॉक के बांगीटोला का रहने वाला है। उसका भी अपना दो मंजिला मकान पहले से है। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से डिप्टी सेक्रेटरी शशिकांत सिंह, असिस्टेंट कमिश्नर चाहत सिंह और असिस्टेंट सेक्शन ऑफिसर गौरव आहूजा फिलहाल बंगाल में आवास योजना का लाभ लेने वाले लोगों की सूची खंगाल कर उनके घर पहुंच कर योजना के क्रियान्वयन का जायजा ले रहे हैं। आरोप लगे हैं कि सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस के साथ मिलकर स्थानीय प्रखंड विकास अधिकारी (बीडीओ) और डीएम ने केवल तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और ऐसे लोगों का नाम आवास योजना में शामिल किया है जिन्होंने घूस के तौर पर रुपये दिए हैं। जो लोग वास्तव में गरीब हैं जिन्हें घर की जरूरत है उन्हें इस सूची में शामिल नहीं किया गया है। इसके बाद ही केंद्रीय ग्रामीण विकास विभाग ने इन तीनों अधिकारियों को राज्य में योजना के क्रियान्वयन का सर्वे करने को भेजा है। शुक्रवार को वे मालदा में पहुंचे हैं। उनके साथ सुरक्षा के लिए केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के जवान मौजूद हैं। इसके साथ ही मालदा के जिलाधिकारी नितिन सिंघानिया, अतिरिक्त जिलाधिकारी वैभव चौधरी भी मौजूद हैं।
जिला प्रशासन का कहना है कि प्रधानमंत्री आवास योजना की पहली सूची में 1 लाख 67 हजार लोगों के नाम थे जिनमें से 28 फीसदी लोगों का नाम सर्वे के बाद हटा दिया गया था। उसके बाद जिन लोगों का नाम रह गया था। जो लोग बच गए थे उन्हें आवास निर्माण के लिए फंड आवंटित किया गया है। इन्हीं लोगों के घर-घर घूम कर केंद्रीय टीम जायजा ले रही है। इस टीम को शनिवार को मालदा से दिल्ली लौट जाना है। इसके पहले गुरुवार को केंद्रीय टीम ने बागडोगरा में आवास योजना के लाभुकों के घर पहुंच कर जायजा लिया था।