चैत्र नवरात्र और नव संवत्सर 2 अप्रैल से, इस बार अश्व पर आरूढ़ होकर आएंगी माँ दुर्गा

हरिद्वार/कोलकाता : माँ दुर्गा की उपासना का पर्व चैत्र नवरात्रि इस बार 2 अप्रैल शनिवार से शुरू होगा। चैत्र नवरात्र के साथ ही हिन्दू नववर्ष विक्रम संवत 2079 भी शुरू होगा। नव संवत्सर पर चैत्र नवरात्र के संबंध में ज्योतिषाचार्य पं. देवेन्द्र शुक्ल ने बताया कि चैत्र नवरात्रि 2 अप्रैल से शुरू होगा, जिसका समापन 11 अप्रैल को होगा। चैत्र नवरात्रि का आरंभ शनिवार से होगा। इस बार माँ दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आएंगी।

पं. शुक्ल ने बताया कि यूँ तो वर्ष भर में चार बार नवरात्र का पर्व आता है। जिसमें दो नवरात्रों को गुप्त नवरात्र कहा जाता है। जबकि चैत्र और अश्विन मास में होने वाले नवरात्रि में माँ दुर्गा की विधि-विधान से पूजा की जाती है।
उन्होंने बताया कि संवत 2079 का आरंभ 2 अप्रैल से होगा और तभी चैत्र नवरात्रि भी आरंभ होंगे। इसी दिन घटस्थापना भी की जाएगी। चैत्र नवमी के दिन भगवान राम का जन्म हुआ था, इसलिए इसे राम नवमी के रूप में मनाया जाता है। नवरात्रि के दौरान माँ दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की नौ दिन पूजा-अर्चना की जाती है। हर दिन देवी दुर्गा के एक रूप की पूजा होती है। देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग रूप हैं, शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्रि।

पं. शुक्ल के मुताबिक देवी भागवत पुराण में अनुसार सप्ताह के सातों दिनों के अनुसार देवी के आगमन का अलग-अलग वाहन बताया गया है। अगर नवरात्रि का आरंभ सोमवार या रविवार को हो तो इसका मतलब है कि माता हाथी पर आएंगी। शनिवार और मंगलवार को माता अश्व यानी घोड़े पर सवार होकर आती हैं। गुरुवार या शुक्रवार को नवरात्रि का आरंभ हो रहा हो तब माता डोली पर आती हैं। बुधवार के दिन नवरात्रि पूजा आरंभ होने पर माता नाव पर आरूढ़ होकर आती हैं। इस साल चैत्र नवरात्रि का आरंभ शनिवार को हो रहा है। इस बार माँ दुर्गा का आगमन अश्व यानि घोड़े पर होगा, जो कि युद्ध का प्रतीक होता है। इससे शासन और सत्ता पर बुरा असर होता है। सरकार को विरोध का सामना करना पड़ सकता है। किन्तु जिन लोगों पर देवी की विशेष कृपा होगी उनके अपने जीवन में अश्व की गति के सामान ही सफलता की प्राप्ति होगी।

शास्त्रों में आगे कहा गया है कि जिस वर्ष दुर्गा माता घोड़े पर सवार होकर आती हैं उस वर्ष जनता बहुत व्याकुल होती है। युद्ध और उपद्रव की आशंका पूरे वर्ष बनी रहती है। गर्मी बहुत पड़ती है। किसी देश अथवा प्रदेश की सरकार गिरने का डर होता है। चैत्र नवरात्र में शनि और मंगल का मकर राशि में गोचर रहेगा। शनि और मंगल दोनों ही शत्रु ग्रह हैं इसलिए यह युति जीवन में बहुत ही नकारात्मक प्रभाव लेकर आ सकती है। कर्क, कन्या और धनु राशि वालों को शनि व मंगल की युति के दौरान सतर्क रहने की जरूरत है। जबकि मेष, मकर और कुंभ समेत अन्य राशि वालों को शुभ फलों की प्राप्ति होगी। साहस व पराक्रम में वृद्धि होगी।

देव गुरु बृहस्पति इस दौरान शुक्र के साथ कुंभ राशि में रहेंगे। इसके अलावा मीन राशि में सूर्य, बुध के साथ मेष राशि में चंद्रमा, वृषभ राशि में राहु, वृश्चिक में केतु रहेंगे। ग्रहों की ये स्थिति भी लाभकारी रहेगी। चैत्र नवरात्रि के लिए घटस्थापना का शुभ मुहूर्त 2 अप्रैल की सुबह 6. 22 बजे से सुबह 8. 31 मिनट तक रहेगा। कुल अवधि 2 घंटे 09 मिनट की रहेगी। इसके अलावा घटस्थापना का अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12. 08 बजे से दोपहर 12. 57 बजे तक रहेगा।

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