कोलकाता : नेताजी सुभाष चंद्र बोस के प्रपौत्र चंद्र कुमार बोस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर नेताजी के ‘अवशेष’ जापान के रेनकोजी मंदिर से भारत लाने की अपील की है। उन्होंने आग्रह किया कि नेताजी की जयंती 23 जनवरी से पहले यह कदम उठाया जाए।
चंद्र कुमार बोस ने कहा कि नेताजी का ‘अवशेष’ अभी भी जापान के रेनकोजी मंदिर में पड़ा हुआ है, जो उनके सम्मान के खिलाफ है। उन्होंने प्रधानमंत्री से दिल्ली के कर्तव्य पथ पर नेताजी की स्मृति में एक स्मारक बनाने का भी अनुरोध किया। उन्होंने लिखा कि नेताजी स्वतंत्र भारत लौटना चाहते थे, लेकिन 18 अगस्त 1945 को भारत की आज़ादी के लिए लड़ते हुए उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए। उनके अवशेष का किसी विदेशी भूमि पर पड़े रहना असहनीय है।
बोस ने इस बात की सराहना की कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने नेताजी से जुड़े दस्तावेजों को सार्वजनिक करने की पहल की, जिससे इतिहास के अनेक पहलुओं पर स्पष्टता आई। उन्होंने कहा कि विभिन्न जांचों और दस्तावेजों के आधार पर यह स्पष्ट है कि 18 अगस्त 1945 को नेताजी का निधन हुआ था। उन्होंने आग्रह किया कि सरकार की ओर से इस विषय पर अंतिम बयान दिया जाना चाहिए ताकि नेताजी के बारे में फैल रही झूठी धारणाओं पर विराम लग सके।
उन्होंने बताया कि 1956 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में एक तीन सदस्यीय समिति बनाई गई थी, जिसकी अध्यक्षता आईएनए के सेनानी जनरल शाह नवाज खान ने की थी। इस रिपोर्ट में नेताजी की मृत्यु के अनेक प्रत्यक्षदर्शियों के बयान दर्ज किए गए थे, जिनमें उनके भारतीय सहायक कर्नल हबीब उर रहमान भी शामिल थे, जो विमान हादसे में बच गए थे।
1974 में सरकारी स्तर पर गठित खोसला आयोग ने भी शाह नवाज समिति की रिपोर्ट को मान्यता दी थी। हालांकि, 2005 में गठित न्यायमूर्ति मुखर्जी आयोग ने कहा था कि नेताजी की मृत्यु विमान हादसे में नहीं हुई थी, परंतु यह रिपोर्ट कई आधारभूत त्रुटियों पर आधारित पाई गई थी, जिसके चलते सरकार ने इसे अस्वीकार कर दिया था।
चंद्र कुमार बोस ने कहा कि अब समय आ गया है कि नेताजी के ‘अवशेष’ भारत लाए जाएं और उन्हें उचित सम्मान मिले।