बैरकपुर : बैरकपुर लोकसभा केंद्र अंतर्गत काँचरापाड़ा से टीटागढ़ के 8 नगरपालिकाओं में बीजेपी को करारा झटका लगा है। पालिका के परिणाम में बुधवार को उक्त आठों नगरपालिकाओं पर तृणमूल ने अपना परचम लहराया है।
गारुलिया को छोड़कर बाकी सभी 7 नगरपालिकाएं विरोधी शून्य हो चुकी हैं। गारुलिया नगर पालिका के 21 नंबर वार्ड में एक वार्ड फॉरवर्ड ब्लॉक और एक वार्ड निर्दलीय को मिला है। बाकी सभी वार्ड तृणमूल के कब्जे में चले गए हैं।
बुधवार को नगरपालिकाओं के चुनाव परिणाम पर बीजेपी सांसद अर्जुन सिंह ने सीएम ममता बनर्जी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि यह चुनाव परिणाम जनता की हार और छप्पाश्री की जीत को दर्शाने वाला है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में बंगाल में लोकतंत्र की हत्या हो रही है।
सांसद ने यह भी आरोप लगाया कि स्ट्रांग रूम में धोखाधड़ी की गई है। 90% ईवीएम की सील टूटी हुई थी। विरोधी पार्टियों के एजेंटों को मतगणना केंद्र से बाहर निकाल दिया गया था। इसके अलावा बैरकपुर सुरेंद्र नाथ कॉलेज मतगणना केंद्र को नैहाटी व जगदल के विधायक क्रमशः पार्थ भौमिक और सोमनाथ श्याम ने दखल कर लिया था।
सांसद ने कहा कि बंगाल की सत्ता में विरोधी शून्य कर सीपीएम की विदाई हो गई थी अब बस समय का इंतज़ार है, तृणमूल की भी विदाई निश्चित है।
इस जीत पर बैरकपुर-दमदम जिला तृणमूल के अध्यक्ष व नैहाटी के विधायक पार्थ भौमिक ने कहा कि वे लोगों के आभारी हैं। जनता ने ममता बनर्जी को वोट दिया। इतना जन सहयोग मिलना बताता है कि अभी और काम करने की जरूरत है।
दमदम लोकसभा क्षेत्र की खड़दह, पानीहाटी, कमरहाटी, बारानगर और न्यू बैरकपुर नगरपालिका पर तृणमूल ने अपनी पकड़ और ज़्यादा मज़बूत की है। खड़दह के 22 वार्डों वाले केवल एक वार्ड में निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत हासिल की है। बाकी के 21 वार्डों में तृणमूल ने जीत हासिल की है। पानीहाटी नगरपालिका में 35 वार्ड हैं, जिसमें केवल एक वार्ड पर सीपीएम का कब्जा है। अन्य सभी वार्डों में तृणमूल उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है।
कमरहाटी में कुल वार्डों की संख्या 35 है। इनमें से 31 वार्डों पर तृणमूल कांग्रेस का कब्जा है। तीन वार्डों में निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है और एक वार्ड में माकपा जीती है। बरानगर नगरपालिका में 34 वार्डों के साथ एक वार्ड में तृणमूल ने निर्विरोध जीत हासिल की है। एक वार्ड में सीपीएम जीती है और बाकी वार्डों में तृणमूल जीती है।
तृणमूल भले इस जीत को जनता की जीत बता रही है लेकिन
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, राज्य की कई नगरपालिकाओं में विरोधी शून्य जीत सत्ता पक्ष के लिए बिल्कुल भी सुखद नहीं है। इतनी बड़ी जीत अगले लोकसभा चुनाव में सत्ताधारी पार्टी के माथे पर सिकन ला सकती है।