जालान पुस्तकालय में छायावाद पर विचार गोष्ठी आयोजित
कोलकाता : सेठ सूरजमल जालान पुस्तकालय द्वारा छायावाद की शत वर्ष पूर्ति पर एक राष्ट्रीय गोष्ठी का आयोजन पिछले हफ़्ते किया गया था। पुस्तकालय सभागार में आयोजित इस विचार गोष्ठी का विषय था ‘शताब्दी के आलोक में छायावाद ‘। इस विषय पर विचार रखते हुए प्रमुख वक्ता हिन्दुस्तानी अकादमी, प्रयागराज के अध्यक्ष डॉ. उदय प्रताप सिंह ने कहा कि छायावाद को नकारने की पूरी कोशिश की गयी। यह उपेक्षा आज भी बनी हुई है। छायावाद पर लगे पलायन के आरोपों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि वह पलायन नहीं बल्कि शांति की तलाश है। शांति, सौहार्द, समरसता और प्रेम के बगैर किसी देश का विकास नहीं हो सकता। छायावादी कवि अपनी कविताओं में राष्ट्रीय चेतना को अभिव्यक्त करते हुए आशा का संचार करते हैं।
श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय के अध्यक्ष डॉ. प्रेमशंकर त्रिपाठी ने कहा कि छायावादी कवियों ने मानवता को विजयी बनाने का सूत्र दिया। उन्होंने छायावाद को शक्ति एवं जागरण का काव्य बताया।
ऋषि बंकिम चंद्र कॉलेज के हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. ऋषिकेश कुमार सिंह ने कहा कि छायावाद का नवजागरण से गहरा सम्बन्ध है। भारतेन्दु की कविताओं में राष्ट्रीयता की भावना ही छायावाद में जाकर प्रबल हो उठती है। स्वयं को जानना ही परम्परा है और मौलिकता ही भारतीयता है। छायावाद में यही मौलिकता और राष्ट्रीय चेतना दिखती है।
विचार गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर के हिन्दी विभाग के आचार्य प्रो. नन्द किशोर पाण्डेय ने कहा कि स्वाधीनता आन्दोलन में साहित्यकारों की भूमिका प्रशंसनीय है।
उन्होंने कहा कि स्वदेशी को विचार के केन्द्र में लाने वाले भारतेन्दु ही थे। दुःखद तथ्य है कि साहित्यकारों के अवदान की चर्चा राजनेता नहीं करते। वे साहित्यकारों की उपेक्षा करते हैं। चर्चा इस पर होनी चाहिए क्योंकि राजनेता साहित्यकारों के जीवन से प्रेरणा पाते हैं। सभी छायावादी कवि सिर्फ कवि नहीं थे बल्कि आलोचक भी थे। स्वागत भाषण सेठ सूरजमल जालान पुस्तकालय की मंत्री दुर्गा व्यास ने दिया। कार्यक्रम का शुभारम्भ प्रख्यात गायक एवं वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश मिश्र द्वारा सरस्वती वन्दना की प्रस्तुति से हुआ।
संगोष्ठी का संचालन बानरहाट कार्तिक उरांव हिन्दी गवर्नमेंट कॉलेज, जलपाईगुड़ी के सहायक प्रवक्ता डॉ. अभिजीत सिंह ने किया। धन्यवाद ज्ञापन सेठ सूरजमल जालान पुस्तकालय के अध्यक्ष भरत कुमार जालान ने किया। समारोह को सफल बनाने में पुस्तकाध्यक्ष श्रीमोहन तिवारी, विजय तिवारी, दिव्या प्रसाद समेत अन्य कई लोगों का योगदान रहा। विचार गोष्ठी का प्रसारण आभासी पटल जूम पर भी हुआ। समारोह में कोरोना सम्बन्धी नियमों का पालन किया गया और कई गण्यमान्य अतिथि भी इस अवसर पर उपस्थित रहे।