बांग्लादेश से लौटे 95 मछुआरों को मुख्यमंत्री ने दी आर्थिक सहायता, मारपीट की घटनाओं पर जताई चिंता

कोलकाता : बांग्लादेश से छूटकर वापस आए 95 भारतीय मछुआरों को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को आर्थिक सहायता प्रदान की। गंगासागर के मंच से मुख्यमंत्री ने प्रत्येक मछुआरे को 10 हजार रुपये की मदद दी और बांग्लादेश में उनके साथ हुई मारपीट पर गहरी चिंता व्यक्त की।

मुख्यमंत्री ने बताया कि कुछ मछुआरे लंगड़ाते हुए चल रहे थे। जब उनसे इसका कारण पूछा गया तो वे कुछ नहीं बोले। बाद में पता चला कि बांग्लादेश में उनकी लाठियों से पिटाई की गई थी। उन्होंने कहा कि उन्हें रस्सियों से बांधा गया और मोटी लाठियों से पीटा गया। कई मछुआरों के कमर से नीचे चोटें आई हैं। मुख्यमंत्री ने दक्षिण 24 परगना के जिलाधिकारी और काकद्वीप के विधायक को निर्देश दिया कि सभी घायल मछुआरों का उचित इलाज कराया जाए और जरूरत पड़ने पर उन्हें ऑर्थोपेडिक विशेषज्ञ को दिखाया जाए।

ये मछुआरे लगभग ढाई महीने तक बांग्लादेश की जेल में बंद थे। उनकी रिहाई और स्वदेश वापसी राज्य सरकार के प्रयासों का नतीजा है। मुख्यमंत्री ने मछुआरों और उनके परिवारों की कठिनाइयों का जिक्र करते हुए कहा कि भविष्य में मछुआरे समुद्री सीमा पार करने से बचें। उन्होंने कहा कि जीवन से बढ़कर कुछ नहीं। अगर मछली नहीं मिलेगी तो भी चलेगा, लेकिन जान बची रहेगी तो भविष्य में और मछलियां पकड़ सकेंगे।

मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि बांग्लादेशी मछुआरों का एक ट्रॉलर जब भारतीय सीमा में पकड़ा गया तो उनके साथ मानवीय व्यवहार किया गया।

ममता ने कहा कि हमने उनके बीमार मछुआरों का इलाज करवाया और उन्हें अच्छे तरीके से रखा, ताकि हमारे राज्य या देश की छवि खराब न हो।

इस मौके पर मुख्यमंत्री ने बांग्ला के मछुआरों के लिए नई योजनाओं की भी घोषणा की। उन्होंने बताया कि ‘समुद्र साथी’ योजना के तहत तूफान और बरसात के मौसम में मछुआरों को 10 हजार की आर्थिक मदद दी जाएगी। साथ ही ‘मछुआरा मित्र’ योजना के तहत मछुआरों की मृत्यु पर उनके परिजनों को दो लाख की सहायता दी जाएगी। इसके अलावा, 60 साल से ऊपर के मछुआरों को हर महीने एक हजार पेंशन दी जा रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘जल धरो, जल भरो’ योजना के तहत राज्य में पांच लाख से ज्यादा तालाब बनाए गए हैं, जहां मछली पालन हो रहा है। इससे मछुआरों की आय में वृद्धि हुई है।

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