बैरकपुर : प्रदेश के बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर केंद्र सरकार ने खसरा और रूबेला जैसी गंभीर बीमारियों के लिए टीकाकरण अभियान की शुरुआत की है। पोलियोमुक्त भारत की तरह भारत सरकार अब खसरा मुक्त भारत के लक्ष्य पर जोर-शोर से काम कर रही है। बंगाल में भी यह टीकाकरण अभियान शुरू हो गया है। राज्य के निजी और सरकारी स्कूलों में युद्धस्तर पर यह अभियान चलाया जा रहा है। इसी क्रम में मंगलवार को डीएवी पब्लिक स्कूल, बैरकपुर के छात्र-छात्राओं को खसरा-रूबेला (एमआर) के टीके लगाए गए। स्कूल के छात्र आयुष्मान हल्दर को सबसे पहले टीका लगाया गया।
स्कूल की प्रधानाध्यापिका जीता भट्टाचार्जी ने बताया कि खड़दह के बांदीपुर अस्पताल से आए स्वास्थ्य कर्मियों ने बीडीओ की देखरेख में स्कूल के 702 बच्चों को टीके लगाए। अपने बच्चों के वैक्सीनेशन को लेकर अभिभावक वर्ग ने भी काफी सक्रियता दिखाई।उल्लेखनीय है कि 11 फरवरी तक चलने वाले इस टीकाकरण अभियान में 9 महीने से 15 वर्ष तक के बच्चों को शामिल किया गया है। पांच सप्ताह तक चलने वाला टीकाकरण अभियान तीन सप्ताह तक स्कूलों में और दो सप्ताह सामुदायिक स्तर पर चलेगा।
गौरतलब है कि रुबेला एक संक्रामक रोग है, जो ज्यादातर बच्चों को प्रभावित करता है। शरीर पर लाल चकते होना, बुखार आना और आंखों का लाल होना इसके लक्षण हैं। रुबेला को जर्मन मीजल्स के नाम से भी जाना जाता है। आमतौर पर यह हल्का संक्रमण है, जो कम उम्र के बच्चों में ज्यादा होता है और एक हफ्ते में दूर हो जाता है। रुबेला से अधिक संक्रामक मीजल्स यानी खसरा होता है, जिससे बच्चों को ज्यादा तकलीफ होती है। हालांकि, दोनों रोगों में लाल चकते समेत कई समानताएं हैं लेकिन ये दोनों संक्रमण अलग हैं।