नयी दिल्ली : कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर सरकारी अधिकारियों को प्रचार की जिम्मेदारी दिए जाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि यह सरकारी मशीनरी का बड़े स्तर पर दुरुपयोग है।
उन्होंने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय, आयकर विभाग और सीबीआई पहले से ही भाजपा के चुनाव विभाग के रूप में काम कर रहे हैं। अब सरकारी मशीनरी को ऐसे काम पर लगा दिया है जैसे कि वे सत्तारूढ़ दल के एजेंट हों। सभी एजेंसियां, संस्थान, बल, विंग और विभाग अब आधिकारिक तौर पर ”प्रचारक” हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे पत्र में खड़गे ने सार्वजनिक डोमेन में 18 अक्टूबर के एक हालिया पत्र का उल्लेख किया है। पत्र के अनुसार संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव जैसे उच्च रैंक के वरिष्ठ अधिकारियों को भारत के सभी 765 जिलों में तैनात किया जाना है। उन्हें भारत सरकार की पिछले 09 वर्षों की उपलब्धियों को प्रदर्शित करने के लिए “रथप्रभारी” के रूप में तैनात किया जाएगा।
इस पर चिंता जताते हुए खड़गे ने कहा कि यह केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1964 का स्पष्ट उल्लंघन है, जो निर्देश देता है कि कोई भी सरकारी कर्मचारी किसी भी राजनीतिक गतिविधि में भाग नहीं लेगा।
अपने पत्र में खड़गे ने रक्षा मंत्रालय के कथित आदेश का जिक्र किया है। उन्होंने कहा कि इसके माध्यम से वार्षिक अवकाश पर गए सैनिकों को सरकारी योजनाओं के प्रचार-प्रसार में समय बिताने का निर्देश देते हुए उन्हें “सैनिक-राजदूत” बना दिया।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि लोकतंत्र में यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि सशस्त्र बलों को राजनीति से दूर रखा जाए। हर जवान की निष्ठा देश और संविधान के प्रति है। हमारे सैनिकों को सरकारी योजनाओं का मार्केटिंग एजेंट बनने के लिए मजबूर करना सशस्त्र बलों के राजनीतिकरण की दिशा में एक खतरनाक कदम है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि सिविल सेवकों और सैनिकों दोनों ही मामलों में, यह आवश्यक है कि सरकारी मशीनरी को खासकर चुनाव से से कुछ महीने पहले राजनीति से दूर रखा जाए। हमारे लोकतंत्र एवं संविधान की रक्षा के दृष्टिगत यह आवश्यक है कि उपरोक्त आदेशों को तत्काल वापस लिया जाए।