नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने सोमवार को वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए शिखरवार्ता के दौरान यूक्रेन, लद्दाख और हिन्द-प्रशांत क्षेत्र के घटनाक्रम पर विचार-विमर्श किया तथा दोनों देशों के शीर्ष नेताओं के बीच वार्षिक शिखरवार्ता को स्थायी स्वरूप देने का निश्चय किया।
दोनों देशों ने द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग बढ़ाने के लिए व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता (सीका) को अंजाम तक पहुंचाने पर सहमति जाहिर की। शिखरवार्ता में अपने प्रारंभिक संबोधन में मोदी ने कहा कि क्वाड में भी हमारे बीच अच्छा सहयोग चल रहा है। हमारा यह सहयोग स्वतंत्र, मुक्त और समावेशी हिन्द प्रशांत के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता के लिये क्वाड की सफलता बहुत महत्वपूर्ण है।
प्रधानमंत्री ने अपने प्रारंभिक संबोधन में कहा कि व्यापार व निवेश, रक्षा व सुरक्षा, शिक्षा व नवाचार, विज्ञान व प्रौद्योगिकी – इन सभी क्षेत्रों में हमारा बहुत क़रीबी सहयोग है। कई अन्य क्षेत्र, जैसे महत्वपूर्ण खनिज, जल प्रबंधन, अक्षय ऊर्जा, कोविड-19 रिसर्च में भी दोनों देश मिलकर तेजी से काम कर रहे हैं।
विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने शिखरवार्ता में हुए विचार-विमर्श के बारे में मीडिया को बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने समकक्ष को लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पिछले साल हुए घटनाक्रम से अवगत कराया और इस बात पर जोर दिया कि सीमा पर शांति और तनावमुक्त स्थिति चीन के साथ बेहतर संबंधों की अनिवार्य शर्त है। वहीं मॉरिसन ने दक्षिण चीन सागर में चीन की गतिविधियों के बारे में अपना दृष्टिकोण रखा।
दोनों नेता यूक्रेन में संघर्ष और हिंसा के अविलंब विराम के पक्ष में थे तथा वहां उत्पन्न मानवीय संकट को लेकर चिंतित थे। उन्होंने प्रभावित लोगों को हर संभव सहायता पहुंचाने की जरूरत पर बल दिया। दोनों नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र घोषणापत्र के अनुरूप हर देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने तथा विधि के शासन पर अमल किए जाने पर जोर दिया।
विदेश सचिव ने बताया कि शिखर वार्ता में यूक्रेन के मुद्दे पर क्वाड शिखर सम्मेलन में अपनाए गए दृष्टिकोण को दोहराया गया जिसमें कहा गया था कि इससे हिंद प्रशांत क्षेत्र पर प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए। इसके अलावा दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय, अंतरराष्ट्रीय और बहुपक्षीय मसलों पर अपने आपसी हितों और चिंताओं को साझा किया जिसमें आतंकवाद प्रमुख रहा।
दोनों नेताओं ने एक प्रगतिशील प्रशांत क्षेत्र के प्रति अपने देशों की प्रतिबद्धता को दोहराया। साथ ही मानवीय सहायता और आपदा राहत के लिए हिन्द-प्रशांत द्वीपीय देशों को मदद देने की दिशा में एक साथ मिलकर सहयोग करने पर चर्चा की।
विदेश सचिव ने बताया कि दोनों नेताओं ने महत्वपूर्ण खनिज क्षेत्र में सहयोग से जुड़े समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर का स्वागत किया। समझौता भारत के खनिज विदेश इंडिया लिमिटेड और ऑस्ट्रेलिया के महत्वपूर्ण खनिज सुविधा कार्यालय के बीच हुआ है। इससे महत्वपूर्ण खनिजों के क्षेत्र में निवेश में भागीदारी के निर्माण से जुड़ा ढांचा तैयार होगा।
श्रृंगला ने बताया कि दोनों देशों के बीच प्रवास और गतिशीलता को सुविधाजनक बनाने के लिए इससे जुड़े समझौते को अंतिम रूप देने से जुड़े आशय पत्र पर हस्ताक्षर हुए । दोनों प्रधानमंत्रियों ने सहमति व्यक्त की कि वह भारत के राष्ट्रीय निवेश और अवसंरचना कोष और ऑस्ट्रेलिया के पेंशन और सावरेन फंड के बीच सहयोग बढ़ाएंगे। प्रसार भारती और ऑस्ट्रेलिया की विशेष प्रसारण सेवा के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।