कोलकाता : डॉ. प्रबोध नारायण सिंह ने अपनी छात्रवत्सलता, विद्वता एवं अध्यापकीय कौशल से विद्यार्थियों को प्रभावित किया था एवं साहित्य के प्रति अपनी गहन निष्ठा के कारण हिंदी एवं मैथिली भाषा को समृद्ध करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। शोध निर्देशक के रूप में उनका अवदान अविस्मरणीय है।
ये उद्गार हैं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. प्रेमशंकर त्रिपाठी के जो सेठ सूरजमल जालान पुस्तकालय के तत्वावधान में आयोजित डॉ. प्रबोध नारायण सिंह जन्मशती समारोह में बतौर अध्यक्ष बोल रहे थे।
देशबंधु कॉलेज की पूर्व प्राध्यापिका डॉ. विजयलक्ष्मी मिश्रा ने प्रबोध नारायण सिंह की अध्यापकीय दक्षता एवं सारस्वत अवदान को भावपूर्ण स्मरण करते हुए उनके कृतित्व और व्यक्तिव पर प्रकाश डाला। सिटी कॉलेज के पूर्व प्राध्यापक डॉ. कमलेश मिश्र ने कहा कि डॉ. प्रबोध नारायण सिंह कलकत्ता विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में लगभग तीस वर्षों तक सूर्य की तरह अपने आभामंडल विभाग को आलोकित करते रहे। उन्होंने जन्मशताब्दी के आयोजन की परिकल्पना हेतु पुस्तकालय की प्रशंसा की।
मिथिला विकास परिषद के अध्यक्ष एवं समाजसेवी अशोक झा ने अपने वक्तव्य में डॉ. सिंह के मैथिली भाषा की उन्नति और साहित्य के प्रति समर्पण भाव को रेखांकित करते हुए उनके द्वारा प्रकाशित ‘मैथिली दर्शन’ पत्रिका के योगदान की चर्चा की। कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज की प्रिन्सिपल डॉ. सत्या उपाध्याय ने कहा कि डॉ. सिंह अपनी कविताओं के माध्यम से भारतीय जनता में आशा, जागरण एवं ऊर्जा का संचार किया, वे मैथिली लोककला एवं साहित्य के विशिष्ट रचनाकार थे।
कार्यक्रम का आरंभ कामायनी संजय द्वारा सरस्वती वंदना ‘वर दे वीणावादिनी वर दे’ की सस्वर प्रस्तुति से हुआ। पुस्तकालय की मंत्री दुर्गा व्यास ने स्वागत भाषण देते हुए संस्था की गतिविधियों पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का कुशल संचालन किया डॉ. सिंह की अत्यंत स्नेहभाजन शिष्या तथा आचार्य जगदीश चंद बोस कॉलेज की पूर्व प्राध्यापिका डॉ. किरण सिपानी ने। उन्होंने प्रबोध जी के व्यक्तिव एवं पांडित्य के अनछुए पक्षों पर प्रकाश डालते हुए उनकी सहृदयता का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि वे सदैव विद्यार्थियों के हित के लिए चिंतित रहते थे। धन्यवाद ज्ञापन जालान पुस्तकालय के पूर्व मंत्री सागरमल गुप्त ने किया।
अतिथियों का स्वागत किया महावीर बजाज, पुस्तकालय अध्यक्ष भरत जालान, डॉ. कमलेश जैन, रामेश्वरनाथ मिश्र ‘अनुरोध’, डॉ. कमल कुमार, डॉ. बृजेश सिंह, डॉ. सुभाष शुक्ल, श्रीमोहन तिवारी एवं प्रो. दीक्षा गुप्ता ने।
कार्यक्रम में अनुपस्थित रहने के कारण डॉ. सिंह के बड़े सुपुत्र डॉ. उदय नारायण सिंह ने ऑडियो मैसेज प्रेषित किया, जिसे संगोष्ठी में प्रसारित किया गया। कार्यक्रम में उनके दौहित्र ऋषि सिंह की सपरिवार उपस्थिति रही।
इस समारोह में डॉ. मृत्युंजय, सुरेश शा, डॉ. गीता दूबे, डॉ. कमलेश पांडे, दिव्या प्रसाद, रामपुकार सिंह, ओमप्रकाश मिश्र, स्वाति शर्मा, पूजा प्रसाद, रमाकांत सिन्हा, सर्वदेव तिवारी, डॉ. आर एस मिश्रा उपस्थित थे। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में दिनेश शर्मा, अरविंद तिवारी, राकेश पाण्डेय एवं विवेक तिवारी की महत्वपूर्ण भूमिका रही।