डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी : आज तक नहीं सुलझी है मौत की गुत्थी

डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी के निधन को कई दशक बीतने के बाद भी उनकी मौत पहेली बनी हुई है। कुछ समय पहले कोलकाता हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें याचिकाकर्ता ने मांग की कि डॉ. मुखर्जी की मौत की जांच के लिए कमीशन बने। इससे तय हो सकेगा कि उनकी मौत प्राकृतिक थी या साजिश।

भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी तक ने जनसंघ के संस्थापक मुखर्जी के किसी साजिश का शिकार होने का संदेह जताया था।

आज ही के दिन 1953 में भारतीय जनसंघ के संस्थापक और अध्यक्ष डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई थी। मौत में किसी साजिश के संदेह को समझने के लिए हमें इतिहास में जाना होगा।

1901 में जन्मे थे मुखर्जी

डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई, 1901 को एक संभ्रांत परिवार में हुआ था। महानता के सभी गुण उन्हें विरासत में मिले थे। उनके पिता आशुतोष बाबू अपने जमाने ख्यात शिक्षाविद् थे।

डॉ. मुखर्जी ने 22 वर्ष की आयु में एमए की परीक्षा उत्तीर्ण की तथा उसी वर्ष उनका विवाह भी सुधा देवी से हुआ। उनको दो पुत्र और दो पुत्रियां हुईं।

अनुच्छेद 370 के विरोधी थे मुखर्जी

मुखर्जी अनुच्छेद 370 का विरोध करते रहे। वे चाहते थे कि कश्मीर भी दूसरे राज्यों की तरह ही देश के अखंड हिस्से की तरह देखा जाए और वहां भी समान कानून रहे। यही कारण है कि जब पंडित जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें अपनी अंतरिम सरकार में मंत्री पद दिया तो कुछ ही समय में उन्होंने इस्तीफा दे दिया। कश्मीर मामले को लेकर मुखर्जी ने नेहरू पर तुष्टिकरण का आरोप लगाया था। साथ ही कहा था कि एक देश में दो निशान, दो विधान और दो प्रधान नहीं चलेंगे।

इस्तीफा देने के बाद वे कश्मीर के लिए निकल पड़े। वे चाहते थे कि देश के इस हिस्से में जाने के लिए किसी इजाजत की जरूरत न पड़े।

नेहरू की नीतियों के विरोध के दौरान मुखर्जी कश्मीर जाकर अपनी बात कहना चाहते थे, लेकिन 11 मई, 1953 को श्रीनगर में घुसते ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। तब, वहां शेख अब्दुल्ला की सरकार थी। दो सहयोगियों समेत गिरफ्तार किए गए मुखर्जी को पहले श्रीनगर सेंट्रल जेल भेजा गया और फिर वहां से शहर के बाहर एक कॉटेज में ट्रांसफर ​कर दिया गया।

कैद में बिगड़ने लगी थी सेहत

एक महीने से ज़्यादा कैद रखे गए मुखर्जी की सेहत लगातार बिगड़ रही थी। उन्हें बुखार और पीठ में दर्द की शिकायतें बनी हुई थीं।

… और रहस्यमय मौत

22 जून को मुखर्जी को सांस लेने में तकलीफ महूसस हुई। अस्पताल ले जाने पर हार्ट अटैक होना पाया गया। राज्य सरकार ने घोषणा की कि 23 जून की अलसुबह 3:40 बजे दिल के दौरे से मुखर्जी का निधन हो गया।

मौत पर उठे कई सवाल

मुखर्जी की मौत पर कई सवाल उठे जिनमें पहला सवाल तो यही था कि मुखर्जी को जेल से ट्रांसफर क्यों किया गया और उन्हें एक कॉटेज में क्यों रखा गया? दूसरा ये कि डॉक्टर ने यह जानने के बावजूद कि मुखर्जी को स्ट्रेप्टोमाइसिन सूट नहीं करती, वो दवा क्यों दी? तीसरा सवाल ये था कि एक महीने से ज़्यादा वक्त तक मुखर्जी को सही और समय पर इलाज क्यों नहीं दिया गया? चौथा ये कि उनकी देखभाल में सिर्फ एक ही नर्स क्यों थी, वह भी रात के वक्त जब मुखर्जी की हालत गंभीर थी? ये सवाल भी था कि मौत का समय अलग-अलग क्यों बताया गया?

मौत बनी पहली

डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी की मौत संदिग्ध बनकर रह गई। आजादी के समय से देश के इतिहास में जिन 3 नेताओं की मौत पहेलियां बनकर रह गईं, उनमें नेताजी सुभाषचंद्र बोस, पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री का नाम शामिल है और उसी फेहरिस्त में तीसरा नाम मुखर्जी का है।

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