अनुब्रत मंडल के खिलाफ लंबित पुराने मामलों को खंगालने में जुटा ईडी

कोलकाता : पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा तृणमूल कांग्रेस के कद्दावर नेता और पार्टी के बीरभूम जिलाध्यक्ष अनुब्रत मंडल को बीरभूम जिला पुलिस द्वारा हिरासत में लेने के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) उनके खिलाफ लंबित और पुराने मामलों की खाक छानने में जुट गया है।

राज्य में करोड़ों रुपये के पशु तस्करी के संबंध में पूछताछ के लिए ईडी को अनुब्रत को दिल्ली ले जाने से पुराने मामले रोक सकते हैं। सोमवार (19 दिसंबर) को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने अनुब्रत मंडल के खिलाफ प्रोडक्शन वारंट जारी कर दिया था जिसके बाद ईडी उन्हें दिल्ली ले जाने की तैयारी में था। लेकिन इसी बीच बंगाल पुलिस ने पुराने मामले में मंडल को अपनी हिरासत में ले लिया जिसके बाद ईडी के इस प्रयास को झटका लगा है। जिस मामले में अनुब्रत मंडल को बंगाल पुलिस ने अपनी हिरासत में लिया वह एक साल पुराना मामला है और हिरासत में लेने से एक दिन पहले ही इस संबंध में प्राथमिकी दर्ज हुई थी।

ईडी के सूत्रों ने कहा कि मौजूदा मामले में पुलिस हिरासत खत्म होने के बाद न्यायिक हिरासत केंद्रीय एजेंसी के लिए नए सिरे से रिमांड याचिका दायर करने के रास्ते खोलने लगेगी। हालांकि, सूत्रों ने कहा कि मंडल के खिलाफ और अधिक पुराने मामलों के सक्रिय होने की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है।

कलकत्ता उच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील कौशिक गुप्ता ने कहा कि कई पुराने मामलों में ऐसी कार्रवाई निश्चित रूप से एक संभावना है जो ईडी को अनुब्रत को नयी दिल्ली ले जाने से रोक सकती है। उन्होंने कहा, ‘मैं फिर से कह रहा हूं कि ऐसी तकनीकें प्रक्रिया को एक अवधि के लिए स्थगित कर सकती हैं, लेकिन हमारे देश में न्यायिक प्रणाली की कई परतों को देखते हुए इसे हमेशा के लिए रोक नहीं सकती हैं। जिस तरह अनुब्रत कई कानूनी रास्तों का दोहन कर रहे हैं, मुझे यकीन है कि वकील ईडी के लिए भी रास्ते तलाश रहे हैं।’

ईडी की मानें तो बुधवार से शुरू होकर 27 दिसंबर तक अगले सात दिन इस मामले में बेहद अहम हैं। बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय मंडल की उस याचिका पर सुनवाई करेगा जिसमें राउज एवेन्यू कोर्ट द्वारा मंजूर किए गए पेशी वारंट को रद्द करने की मांग की गई है।

23 दिसंबर को कलकत्ता उच्च न्यायालय पशु-तस्करी मामले में मंडल की जमानत याचिका पर सुनवाई करेगा। मंडल की मौजूदा पुलिस हिरासत 27 दिसंबर को खत्म हो जाएगी और यह देखना होगा कि बीरभूम की निचली अदालत उनकी पुलिस हिरासत बढ़ाएगी या उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज देगी।

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