कोलकाता : राशन वितरण घोटाले के मामले में अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की नजर ‘मना दा’ पर है। हाल ही में गिरफ्तार अलिफ नूर और ज्योतिप्रिय मलिक के वित्तीय लेन-देन की जांच के दौरान ‘मना दा’ का नाम सामने आया है। ईडी की जांच में खुलासा हुआ है कि ‘मना दा’ ने ज्योतिप्रिय मलिक को साढ़े 11 लाख रुपये दिए हैं। करोड़ों के फंड का लेन-देन विदेशों में हवाला के रास्ते हुआ है।
उत्तर 24 परगना जिले के देगंगा ब्लॉक तृणमूल अध्यक्ष अनिसुर रहमान और उनके भाई अलिफ नूर को हाल ही में ईडी ने गिरफ्तार किया था। ईडी के सूत्रों के अनुसार ज्योतिप्रिय मलिक और अनिसुर रहमान के चार्टर्ड अकाउंटेंट शांतनु भट्टाचार्य के स्ट्रैंड रोड स्थित कार्यालय की तलाशी में ‘ईएच ग्रुप ऑफ कंपनीज’ की 2021-2022 की बैलेंस शीट मिली। इसी से पांच कंपनियों ‘ग्रीनिश’, ‘सेंटर एंड मार्ट’, ‘इंजीनियरिंग’, ‘पिकासो’ और ‘ग्रीनरश’ का पता चला। ये कंपनियां मध्य कोलकाता के स्ट्रैंड रोड पर स्थित हैं और इनका मालिकाना हक ज्योतिप्रिय मलिक और उनकी पत्नी के पास है।
बैलेंस शीट के अनुसार इन कंपनियों के खातों में छह करोड़ 55 लाख रुपये नकद जमा हुए। इनमें से 94 लाख रुपये अलिफ नूर ने और 11.5 लाख रुपये ‘मना दा’ ने भी इन्हीं खातों में जमा किए। ईडी के अनुसार ‘ईएच’ कंपनियों की कुल पूंजी 25 लाख 49 हजार 999 रुपये थी लेकिन एक साल में ही इन कंपनियों के खातों में छह करोड़ 55 लाख 64 हजार रुपये जमा हो गए। अगस्त से अक्टूबर, 2021 के बीच अलिफ नूर ने इन कंपनियों में 94 लाख 14 हजार रुपये जमा किए। ईडी के पास के अनुसार अगस्त 2021 में 25 लाख रुपये, सितंबर में 55 लाख रुपये और अक्टूबर में 14 लाख 14 हजार रुपये जमा हुए।
ईडी का आरोप है कि बरामद दस्तावेज से साबित होता है कि अनिसुर और उनके भाई से राशन वितरण घोटाले का पैसा किस तरह से कंपनियों में ‘पार्क’ किया गया। व्यवसायी बाकिबुर रहमान और उनके रिश्तेदार अनिसुर रहमान व अलिफ नूर के बीच हुए वित्तीय लेन-देन का विवरण भी ईडी के पास है। 25 अक्टूबर, 2022 को बाकिबुर की कंपनी एनपीजी राइस मिल से अनिसुर के ‘हाई टेक राइस मिल’ के खाते में 25 लाख रुपये जमा हुए।