कोलकाता : पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एक और चौंकाने वाला खुलासा किया है। ईडी का कहना है कि राज्य के कई निजी कॉलेजों ने रजिस्ट्रेशन के लिए पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को बड़ी धनराशि घूस के तौर पर दी थी।
ईडी के सूत्रों के मुताबिक, कुछ ऐसे निजी लॉ और फार्मेसी कॉलेजों के प्रमुखों को तलब करने की प्रक्रिया चल रही है जिन्होंने कथित तौर पर अपने-अपने संस्थानों की मान्यता के लिए पैसे दिए थे। आरोप है कि पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के महासचिव पार्थ चटर्जी और पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड (डब्ल्यूबीबीपीई) के पूर्व अध्यक्ष मानिक भट्टाचार्य इस पूरे गिरोह के सरगना थे।
प्रारंभिक निष्कर्षों के अनुसार, ऐसे प्रत्येक संस्थान ने राज्य सरकार की मान्यता प्राप्त करने के लिए कुछ बिचौलियों के माध्यम से कमीशन के रूप में औसतन 12 लाख रुपये का भुगतान किया। एक अधिकारी ने कहा, “हमने पहले ही ऐसे बिचौलियों की पहचान कर ली है और उनसे पूछताछ शुरू करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। हम जल्द ही इन संस्थानों के प्रतिनिधियों को बुलाना शुरू कर देंगे। हम ऐसे निजी कानून और फार्मेसी कॉलेजों की सही संख्या की पहचान करने की भी कोशिश कर रहे हैं, जिन्होंने इतनी बड़ी राशि का भुगतान किया है।’’
जांच के दौरान, ईडी ने पहले ही पता लगा लिया था और कोर्ट को सूचित किया था कि कैसे पार्थ चटर्जी और मानिक भट्टाचार्य निजी बैचलर ऑफ एजुकेशन (बी.एड) और डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन द्वारा किए गए इस तरह के अनधिकृत भुगतान के लाभार्थी थे। उन्होंने कहा कि अक्सर कुछ वर्ग सवाल करते हैं कि जांच एजेंसी जांच प्रक्रिया पूरी करने में इतना समय क्यों ले रही है? दरअसल, राज्य में शिक्षा घोटाले की यह पूरी प्रक्रिया वित्तीय जालसाजी की एक भूलभुलैया रही है।