नयी दिल्ली : केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बुधवार को एक बार फिर राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की पाठ्यपुस्तकों से प्रस्तावना को हटाने के विपक्ष के दावे को खारिज कर दिया।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री प्रधान ने संसद परिसर में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि आज शून्यकाल में विपक्ष के नेता ने तथ्यों से परे कुछ बातें रखीं। उन्होंने एक अखबार का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि एनसीईआरटी की छठी कक्षा की किताबों में प्रस्तावना का विषय था, जिसे अब हटा दिया गया है। मैंने सदन के अध्यक्ष की अनुमति से इस मामले को स्पष्ट किया। हाल ही में छठी कक्षा की नई पाठ्यपुस्तकें जारी की गई हैं। सभी पुस्तकों में संविधान की प्रस्तावना, मौलिक कर्तव्य, मौलिक अधिकार, राष्ट्रगान आदि विषयों को पहले की तुलना में अधिक पुस्तकों में शामिल किया गया है।
उन्होंने कांग्रेस पर संविधान की अवहेलना का आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस ने अपनी हताशा के कारण संविधान को सबसे अधिक तोड़ने और नीचे दिखाने का काम किया है। ये लोग झूठ और भ्रम फैलाने में लगे हुए हैं।
प्रधान ने कहा कि हम अपेक्षा करते हैं कि नेता प्रतिपक्ष जैसे जिम्मेदार पद पर बैठे व्यक्ति सदन को कम से कम गुमराह तो न करें। हम तथ्यों काे समाज के सामने रखते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार संविधान के प्रति प्रतिबद्ध है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में स्पष्ट कहा गया है कि संविधान के मूल तत्व को तरह-तरह से पाठ्यपुस्तकों में लाया जाएगा। मैं कांग्रेस पार्टी के इस कदम की निंदा करता हूं और उन्हें देश से माफी मांगनी चाहिए।
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने आज केंद्र सरकार पर एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों से प्रस्तावना को हटाने का आरोप लगाया था। खरगे ने कहा कि ऐसी खबर आई है कि संविधान की प्रस्तावना को एनसीईआरटी की किताबों से हटा दिया गया है। यह पहले किताबों में छपी होती थी। प्रस्तावना संविधान की आत्मा और भावना है।