शिक्षाविद अवधेश प्रधान और चंद्रकला पांडेय को मिलेगा इस वर्ष का प्रो. कल्याणमल लोढ़ा-लिली लोढ़ा शिक्षा सम्मान

कोलकाता : इस वर्ष का ‘प्रोफेसर कल्याणमल लोढ़ा – लिली लोढ़ा शिक्षा सम्मान’ बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व हिंदी प्रोफेसर और सुप्रसिद्ध आलोचक डॉ. अवधेश प्रधान और कलकता विश्वविद्यालय की पूर्व- हिंदी प्रोफेसर और शिक्षाविद डॉ. चंद्रकला पांडेय को प्रदान किया जाएगा। यह सम्मान उन्हें 28वें हिंदी मेला में 31 दिसंबर को दिया जाएगा। यह घोषणा आज सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन की चयन समिति की ओर से डॉ. राजेश मिश्र और प्रो. संजय जायसवाल ने की। पुरस्कार में 21 हजार की प्रतीकात्मक राशि के अलावा शॉल और मानपत्र देकर सम्मानित किया जाएगा।

हिंदी मेला के पुरस्कार समारोह और ‘वर्तमान सभ्यता और आदिवासी’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में जानेमाने हिंदी लेखक रविभूषण, मोहनदास नैमिशराय, भगवानदास मोरवाल, मधु कांकरिया, महादेव टोप्पो,मृत्युंजय कुमार सिंह, पार्वती तिर्की आदि उपस्थित रहेंगे।

गौरतलब है कि प्रो. कल्याणमल लोढ़ा लंबे समय तक कलकत्ता विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में प्रोफेसर थे और एक समय उन्होंने बंगाल के विभिन्न कॉलेजों में हिन्दी विभाग खुलवाने और हिन्दी शिक्षण के प्रसार में बड़ी भूमिका निभाई थी। उनका जन्म राजस्थान में 1921 में हुआ था। वे कई ग्रंथों के लेखक और एक कुशल वक्ता थे।

प्रो. चंद्रकला पांडेय ने लंबे समय तक कलकत्ता विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में प्रोफेसर रहने के अलावा पूर्वोत्तर भारत के कई विश्वविद्यालयों से जुड़ी हुई थीं। वे एक कुशल अनुवादक हैं । 1993 से 2005 तक वे राज्यसभा की सांसद भी रहीं। उनके काव्य संकलन हैं ‘उत्सव नहीं है मेरे शब्द’, ‘आकाश कहां है’।

प्रो. अवधेश प्रधान बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग से साढ़े तीन दशक से अध्यापन से जुड़े हुए थे।। आपने ‘हिन्दी साहित्य के इतिहास की समस्याएँ,’ ‘कीर्तिलता और विद्यापति का युग’ , ‘साहित्य और समय’, ‘स्वामी सहजानंद सरस्वती और किसान आंदोलन’, ‘सीता की खोज’ सहित दर्जनों पुस्तकों का लेखन एवं संपादन किया है ।
पुरस्कार की निर्णायक समिति के अध्यक्ष हिन्दी के वरिष्ठ आलोचक एवं भारतीय भाषा परिषद के निदेशक डॉ. शम्भुनाथ थे।
हिंदी शिक्षण में गुणवत्ता के सम्मान स्वरूप ‘ प्रोफेसर कल्याणमल लोढ़ा – लिली लोढ़ा शिक्षा सम्मान’ पश्चिम बंगाल के एक तथा देश के अन्य राज्यों के एक शिक्षाविद को लोढ़ा जी की पुत्री सुषमा लोढ़ा के सौजन्य से प्रति वर्ष प्रदान किया जाएगा।

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