`मैं अंतरिक्ष के लिए बनी हूं, हर पल अंतरिक्ष के लिए बिताया और इसी के लिए मरूंगी।’- ये शब्द हैं भारत की उस बेटी के जिसने छोटी-सी जिंदगी में दुनिया के सामने अपने जुनून की एक बड़ी मिसाल पेश की। 01 फरवरी 2003 को अमेरिका का अंतरिक्ष शटल कोलंबिया अंतरिक्ष मिशन पूरा कर धरती पर वापस लौटने के क्रम में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इसमें सवार सभी सात अंतरिक्ष यात्रियों की मौत हो गई, जिसमें कोलंबिया की मिशन स्पेशलिस्ट कल्पना चावला भी शामिल थीं।
01 जुलाई 1961 को हरियाणा के करनाल में पैदा हुईं कल्पना चावला ने शुरुआती पढ़ाी करनाल के टैगोर बाल निकेतन में की और आगे चलकर पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। पंजाब विवि से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाली पहली छात्रा थीं कल्पना चावला। 1984 में टेक्सस विवि से आगे की पढ़ाई की और 1995 में नासा में अंतरिक्ष यात्री के रूप में शामिल हुईं। 1998 में उन्हें पहली उड़ान के लिए चुना गया।
कल्पना चावला 2003 में दूसरे स्पेश मिशन पर गईं। 16 जनवरी 2003 को स्पेस शटल कोलंबिया एसटीएस-107 पृथ्वी से रवाना हुआ। 01 फरवरी को कोलंबिया एसटीएस-107 धरती पर वापस लौटने के क्रम में दुर्घटनाग्रस्त हो गया और 80000 से अधिक टुकड़ों में बंटकर यह पूर्वी टेक्सास के बड़े इलाके में इसका मलबा फैल गया। इनमें कल्पना चावला और उनके सहयोगी अंतरिक्ष यात्रियों के भी अवशेष थे। जिनकी डीएनए से पहचान की गई। 30 दिसंबर 2008 को नासा ने 400 पन्नों की रिपोर्ट जारी की।