कोलकाता : बीरभूम नरसंहार के मास्टरमाइंड लालन शेख की सीबीआई हिरासत में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत को लेकर जो प्राथमिकी दर्ज हुई है उसमें केंद्रीय एजेंसी के एक अधिकारी के नाम को लेकर राज्य पुलिस सवालों के घेरे में है। इस मामले में दर्ज प्राथमिकी में मवेशी तस्करी मामले को लेकर बीरभूम जिले के तृणमूल अध्यक्ष अनुब्रत मंडल को गिरफ्तार करने वाले सीबीआई अधिकारी सुशांत भट्टाचार्य का नाम है जबकि वह इस बीरभूम नरसंहार से जुड़े ही नहीं हैं। सुशांत भट्टाचार्य मूल रूप से मवेशी तस्करी मामले की जांच करते हैं। वहीं इस मामले के जांच अधिकारी हैं और अनुब्रत मंडल को उन्होंने ही गिरफ्तार किया था। इसीलिए इस प्राथमिकी को लेकर सीबीआई ने सवाल खड़े किए हैं और इसे राजनीति प्रेरित मामला करार दिया है।
प्राथमिकी में सुशांत के अलावा स्वरूप दे का भी नाम है जो मवेशी तस्करी मामले की जांच में शामिल है। इसमें जो धाराएं लगाई गई हैं वह भी गैर जमानती हैं। इसलिए केंद्रीय एजेंसी ने इसके खिलाफ कलकत्ता हाई कोर्ट में याचिका लगाकर इस प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की है। इसमें रंगदारी वसूली, धमकी सहित कई ऐसी धाराएं लगाई गई हैं जिसके लिए साक्ष्य की जरूरत होती है। लालन की पत्नी रेशमा बीबी की लिखित शिकायत के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की गई है। अब राज्य सरकार ने इस जांच को सीआईडी को सौंप दी है। सीआईडी अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचकर जांच के साक्ष्य भी जुटाने में जुट गए हैं।
उल्लेखनीय है कि गत सोमवार को सीबीआई के रामपुरहाट कैंप के शौचालय में लालन शेख का फंदे से लटका हुआ शव बरामद किया गया था। उसने लाल रंग के गमछे से फांसी लगाई थी।