कोलकाता/नयी दिल्ली : पश्चिम बंगाल में बीरभूम लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार देवाशीष धर ने नामांकन रद्द करने के चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। पूर्व आईपीएस के आवेदन को सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार किया है और जल्द सुनवाई होगी।
भाजपा ने बीरभूम लोकसभा सीट पर शताब्दी रॉय के प्रतिद्वंद्वी के तौर पर देवाशीष धर के नाम की घोषणा कर चौंका दिया था। वह प्रचार भी करते रहे। हालांकि, 25 अप्रैल को यह देखा गया कि देवतानु भट्टाचार्य नाम के एक अन्य भाजपा नेता ने बीरभूम जिला कलेक्टर कार्यालय में पार्टी के वैकल्पिक उम्मीदवार के तौर पर अपना नामांकन दाखिल किया था। बाद में पता चला कि राज्य सरकार ने देवाशीष के इस्तीफे को लेकर एनओसी नहीं दी है, जिसकी वजह से चुनाव आयोग ने उनका नामांकन खारिज कर दिया।
आयोग की ओर से बताया गया कि ”नो ड्यूज सर्टिफिकेट” नहीं देने के कारण देवाशीष की उम्मीदवारी रद्द कर दी गई है। आयोग ने इसकी घोषणा तब की, जब खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक जनसभा से दावा किया कि राज्य सरकार ने उन्हें नो ड्यूज सर्टिफिकेट नहीं दिया है। इसलिए आयोग के कदम पर सवाल खड़े हुए और देवाशीष ने हाई कोर्ट का रुख किया था लेकिन हाई कोर्ट ने तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया गया। अब निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर टिक गई हैं।
सोमवार को देवाशीष ने कहा कि जब मैंने इस्तीफा दे दिया और चुनाव लड़ने की घोषणा की तो नियमानुसार राज्य सरकार को मुझे मुक्त करना चाहिए लेकिन मुझे लड़ने से रोकने के लिए ही मेरे नो ड्यूज़ सर्टिफिकेट को रोका गया है। यह पूरी तरह से साजिश है और इसके खिलाफ कोर्ट से सकारात्मक फैसले की उम्मीद है।