कोलकाता : शतरंज की बिसात पर इतिहास रचने वाले नन्हे अनिश सरकार की सफलता पर उनके गुरु, ग्रैंडमास्टर दिव्येंदु बरुआ ने खुशी जाहिर करते हुए उन्हें “जीनियस” और “गॉड गिफ्टेड” बताया।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार प्राप्त करने के वाले अनिश सरकार के कोच ग्रैंड मास्टर दिव्येंदु बरुआ ने अनिश की प्रतिभा और उनकी आगामी सफलता को लेकर अपनी उम्मीदें साझा की।दिव्येंदु बरुआ ने कहा, “अनिश एक अद्भुत बच्चा है। उसकी प्रतिभा को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। वह एक ‘जीनियस’ और गॉड गिफ्टेड है।” दिव्येंदु के अनुसार, अनिश के पास शतरंज के प्रति गहरी रुचि और सीखने की अपार उत्सुकता है।
दिव्येंदु ने बताया कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि एक इतनी छोटी उम्र में किसी बच्चे में इतनी गहरी समझ और रणनीतिक सोच होगी।दिव्येंदु ने कहा, “हमारी अकादमी में सामान्यत: पांच साल से कम उम्र के बच्चों को नहीं लिया जाता, लेकिन जब अनिश को लेकर उसके अभिभावक हमारे पास आए, तो उसका शतरंज के प्रति प्रेम देखकर मैं हैरान रह गया। मैंने उसके साथ कुछ चालें खेली और तुरंत समझ गया कि यह बच्चा कुछ खास है।”बरुआ ने बताया कि अनिश के साथ उनके व्यक्तिगत संबंध भी हैं। वह अकादमी के अलावा, कभी-कभी अपनी पत्नी के साथ अनिश को घर पर भी अभ्यास कराते हैं।
उनका कहना है कि अनिश का ध्यान और उत्साह अनोखा है। वह हर समय शतरंज की बातें पूछता रहता है और जो कुछ भी सिखाया जाता है, उसे तुरंत समझकर अपनी याददाश्त में गढ़ लेता है।हालांकि, बरुआ ने यह भी कहा कि अभी उसकी उम्र बहुत कम है और अभी बहुत लंबा रास्ता तय करना है। उन्होंने कहा, “इस उम्र में पुरस्कार निश्चित रूप से उत्साह बढ़ाता है, लेकिन साथ ही कभी-कभी घमंड भी लाता है। हालांकि, अनिश की उम्र को देखते हुए मुझे नहीं लगता कि वह ऐसे किसी विचार से प्रभावित होगा।”
आगे की योजनादिव्येंदु ने कहा कि अकादमी अनिश की इस उपलब्धि के बाद उसकी आगे की ट्रेनिंग के बारे में सोच रही है। उन्होंने कहा, “हमारी अकादमी में अनिश के लिए नई योजनाएं बनाई जा रही हैं। उसकी सफलता से हमें और अधिक प्रेरणा मिली है और हम चाहते हैं कि वह अगले स्तर तक पहुंचे।”
दुनिया में सबसे कम उम्र का फिडे रेटेड खिलाड़ीअ निश सरकार ने तीन साल आठ महीने की उम्र में शतरंज की दुनिया का एक बड़ा रिकॉर्ड तोड़ा। उन्होंने फिडे रेटिंग प्राप्त कर सबसे कम उम्र के रेटेड खिलाड़ी बनने का कीर्तिमान स्थापित किया। दिव्येंदु ने इस पर भी अपनी राय दी। उन्होंने कहा, “यह असाधारण है कि इतनी छोटी उम्र में अनिश ने यह रिकॉर्ड तोड़ा। यह उसकी मानसिक स्थिति और शतरंज के प्रति समर्पण को दर्शाता है।
दिव्येंदु ने यह भी बताया कि अनिश का प्रशिक्षण समय बहुत ही व्यस्त और लंबा होता है, लेकिन वह कभी थकावट महसूस नहीं करता और हमेशा अपने शतरंज के बोर्ड पर बैठने का इंतजार करता है। उनका कहना है कि अनिश ने सप्ताह में तीन दिन सात घंटे तक लगातार अभ्यास किया है, जो एक बच्चे के लिए अद्वितीय है।दिव्येंदु बरुआ ने अनिश की सफलता पर गर्व जताते हुए कहा कि वह भविष्य में उसे एक विश्व चैंपियन के रूप में देखना चाहते हैं। बरुआ ने कहा, “हम जानते हैं कि आगे बहुत सारी चुनौतियां होंगी, लेकिन हम पूरी तरह से आश्वस्त हैं कि अनिश एक दिन शतरंज की दुनिया में अपना नाम रोशन करेगा।