कोलकाता : पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये की राशन वितरण अनियमितता के मामले में गिरफ्तार बाकी और रहमान के हवाला कनेक्शन का खुलासा हुआ है। मामले की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस कथित घोटाले में एजेंसी द्वारा गिरफ्तार कोलकाता के व्यवसायी बकीबुर रहमान के विदेशी लिंक की जांच की सिलसिले में इस बात का पता लगाया है।
सूत्रों ने कहा कि जांच अधिकारियों द्वारा जमा किए गए दस्तावेजों के अनुसार, संपत्तियां, परिसंपत्तियां और व्यवसाय एनपीजी ग्रुप ऑफ कंपनीज नाम की कॉर्पोरेट इकाई के नाम पर पंजीकृत थे, जिसके मालिक-सह-प्रबंध निदेशक बकीबुर रहमान हैं। एक होटल, एक बार-कम रेस्तरां और कई चावल मिलों के अलावा, दुबई में दो संपत्तियां भी इन कंपनियों के नाम पर पंजीकृत हैं। केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों को प्रारंभिक सुराग मिले हैं कि इन दो विदेशी संपत्तियों की खरीदने में बड़ा हिस्सा राशन वितरण अनियमितता के पैसे से खर्च किया गया था। खरीद के लिए अवैध धन के हस्तांतरण के लिए हवाला मार्ग का उपयोग किया गया था।
एजेंसी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि जांच अधिकारियों को कुछ विशिष्ट सुराग मिले हैं कि रहमान ने कथित घोटाले की आय को अपने करीबी रिश्तेदारों के नाम पर पंजीकृत संपत्तियों में भी निवेश किया है। ऐसे ही एक करीबी रिश्तेदार से हाल ही में ईडी के अधिकारियों ने पूछताछ की। पूछताछ के दौरान उसने स्वीकार किया कि कुछ जमीन-जायदाद उसके नाम पर खरीदे गये हैं जबकि निवेश रहमान ने किया था।
ईडी के एक अंदरूनी सूत्र ने कहा कि रहमान के पास प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मौजूद संपत्तियां उनकी आय से बहुत अधिक थीं और राशन वितरण अनियमितता मामले की आय का लिंक इन संपत्तियों और व्यवसायों में जोड़ा गया था। केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों को इस बात के भी सुराग मिले हैं कि रहमान ने अवैध कमाई को इधर-उधर करने के लिए अपनी पत्नी और साले के बैंक खातों का इस्तेमाल किया। जांच अधिकारियों ने इन खातों से बेहद कम अंतराल में कई ट्रांजेक्शनों का पता लगाया है। पहले ही, रहमान के कार्यालय से राज्य सरकार की कई मुहरों की जब्ती से इस मामले में राज्य के खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की संलिप्तता की पुष्टि हो गई है।
सूत्रों के मुताबिक, उनके कार्यालय से बरामद सरकारी मुहरों में पश्चिम बंगाल आवश्यक वस्तु आपूर्ति निगम लिमिटेड, मुख्य निरीक्षक, जिला खाद्य आपूर्ति अधिकारी और राज्य खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के उप-निरीक्षक की मुहरें शामिल हैं।
ईडी अधिकारियों ने कहा कि विभाग के अधिकारियों के एक वर्ग की सक्रिय भागीदारी के बिना, इतनी सारी मुहरें आरोपित के कार्यालय तक नहीं पहुंच सकती थीं।