“मिले सुर मेरा तुम्हारा, तो सुर बने हमारा” यह धुन दिलो-दिमाग को एक भारत-सशक्त भारत का अहसास करा जाता है। साथ ही इसे आवाज देने वालों में प्रमुख गायकों के साथ सबसे पहले पंडित भीमसेन जोशी का ख्याल आता है। सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर, भूपेन हजारिका और बाल मुरलीकृष्ण जैसे गायकों के साथ सागर सी गहरी और झील सी ठहरी आवाज के धनी पंडित जी ने इस गीत को गरिमा प्रदान की।
साहित्य, संगीत, कला और खेल की महान हस्तियों के साथ इसकी प्रस्तुति की गयी। वर्ष 1988 में रची और गायी गई इस रचना ने हिन्दुस्तानी दिल्लों में राष्ट्र-संगीत भर दिया था। अब आजादी के अमृत महोत्सव के लिए भारतीय रेल ने इस गीत को नई छवि दी है, जिसका लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले वर्ष 12 मार्च को किया था।
दरअसल, भीमसेन जोशी ने किराना घराने की गायकी को अपने सुर से अमर बना दिया। अपने एकल गायन से हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत को नया आयाम देने वाले जोशी जी ने लगभग सात दशकों तक देश-दुनिया के रोम-रोम को झंकृत किया। खयाल गायकी के साथ ठुमरी और भजन गायक पंडित जी ने कलाश्री और ललित भटियार जैसे नए रागों की रचना भी की। संगीत की ऐसी महान विभूति का 24 जनवरी, 2011 को निधन हो गया था।
परमाणु भौतिक विज्ञान का चमकते सितारे होमी जहांगीर भाभा को भी हमने 1966 में इसी दिन खो दिया था। मुट्ठी भर साधन और चंद वैज्ञानिकों की मदद से उन्होंने भारतीय सैन्य और असैन्य परमाणु ताकत को स्थापित किया। जर्मनी में कॉस्मिक किरणों के अध्ययन में विशेषज्ञता हासिल करने के बाद उन्होंने अपनी मातृभूमि की सेवा को ही ध्येय बना लिया। बेंगलुरु के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस से जुड़े भाभा ने देश को आजादी मिलने के बाद एक से बढ़कर एक उपलब्धियां हासिल कराई। उनकी पहल पर परमाणु ऊर्जा आयोग का गठन हुआ। साल 1955 में संयुक्त राष्ट्र के शांतिपूर्ण कार्यों के लिए परमाणु ऊर्जा का उपयोग विषयक सम्मेलन के सभापति रहे इस सुप्रसिद्ध परमाणु वैज्ञानिक ने बदलती दुनिया में भारत की सुरक्षा जरूरतों को भी समझा।
वर्ष 1957 में बंबई (अब मुंबई) के नजदीक ट्रांबे में पहला परमाणु अनुसंधान केंद्र स्थापित किया गया। अब इसका नाम डॉ. भाभा की स्मृति को ताजा करता है। पंडित नेहरू के शांतिपूर्ण परमाणु उपयोग के सिद्धांत को 1965 के युद्ध के बाद शास्त्री जी ने देश को परमाणु हथियार नहीं बनाने की प्रतिबद्धता से मुक्त कर दिया। डॉ. भाभा ने इस दिशा में भी तेजी से काम शुरू किया था, पर अगले ही साल पहले शास्त्री जी और फिर भारत का यह चमकता परमाणु सितारा विलुप्त हो गया।
अन्य महत्वपूर्ण घटनाएं :
1556: चीन के शानसी प्रांत में आए भूकंप ने आठ लाख से अधिक लोगों की जान ले ली।
1826: पहले भारतीय बैरिस्टर ज्ञानेन्द्र मोहन टैगोर का जन्म।
1857: कलकत्ता विश्वविद्यालय की स्थापना हुई।
1914: ‘आजाद हिन्द फौज’ से जुड़े सुप्रसिद्ध सेनानी शाहनवाज खान का जन्म।
1945: हिन्दी फिल्मों के निर्माता-निर्देशक सुभाष घई का जन्म।
1952: बंबई (अब मुंबई) में पहले अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव का आयोजन।
1965: प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने मैसूर (अब कर्नाटक) के जोग में शरावती पन बिजली परियोजना राष्ट्र को समर्पित की।
1966: एयर इंडिया के विमान बोइंग 707 की दुर्घटना में 117 यात्रियों की मौत।
2008: राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने की शुरुआत।