कोलकाता : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा घर-घर राशन पहुंचाने की महत्वकांक्षी ‘दुआरे राशन’ योजना को कलकत्ता हाईकोर्ट ने अवैध करार दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि यह केंद्र सरकार के राशन के अधिकार परियोजना के प्रावधानों के बिल्कुल विपरीत है, इसे रद्द किया जाएगा।
न्यायमूर्ति चित्तरंजन दास और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध राय के खंडपीठ ने कहा कि कानून की नजर में इस योजना की कोई स्वीकार्यता नहीं है।
पिछले विधानसभा चुनाव में भारी जीत के बाद राज्य सरकार ‘घर-घर राशन’ योजना लेकर आई थी। इसकी वैधता को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में एक मामला दायर किया गया था। उस मामले में बुधवार को कोर्ट ने कहा कि ममता सरकार के ‘दुआरे राशन’ योजना की कोई कानूनी वैधता नहीं है।
राशन डीलरों की शिकायत है कि योजना को लागू करना मुश्किल है। कलकत्ता हाई कोर्ट में काफी पहले एक मामला दायर किया गया था लेकिन कोर्ट ने मामले को खारिज कर दिया था। बाद में राशन डीलरों के एक वर्ग ने न्यायमूर्ति चित्तरंजन दास और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध राय के खंडपीठ में एक नया मामला दायर किया। उस मामले में बुधवार को न्यायाधीशों ने कहा कि इस योजना को कानूनी वैधता नहीं होने की वजह से जारी नहीं रखा जा सकता।
याचिकाकर्ताओं में से एक विश्वंभर बोस ने कलकत्ता हाई कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा, “पूजा से पहले इतनी बड़ी जीत वास्तव में हमारे लिए सबसे अच्छा पूजा उपहार है।”
संयोग से बंगाल के दिखाए रास्ते पर चलते हुए दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने भी राजधानी में घर-घर राशन योजना विकसित की थी लेकिन कोर्ट की आपत्ति के चलते इसे बीच में ही रोकना पड़ा था।