कोलकाता : पश्चिम बंगाल के वरिष्ठ भाजपा विधायक और नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी की सुरक्षा को लेकर कलकत्ता हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी है। शुक्रवार को पश्चिम बंगाल सरकार के एक अधिकारी ने कहा है कि अगले साल फरवरी तक अधिकारी की सुरक्षा व्यवस्था पर कलकत्ता उच्च न्यायालय को एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपी जाएगी। कलकत्ता उच्च न्यायालय की एकल-न्यायाधीश जय सेनगुप्ता के एक आदेश के बाद सरकार ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। हाई कोर्ट से राज्य सरकार को एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है कि विपक्ष के नेता किस प्रकार की सुरक्षा के हकदार हैं और फिलहाल उन्हें किस तरह की सुरक्षा मुहैया करायी जा रही है।
न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंपने के लिए अगले साल पांच फरवरी की समय सीमा भी तय की है। कलकत्ता उच्च न्यायालय की एकल-न्यायाधीश पीठ ने अधिकारी द्वारा दायर एक मामले पर आदेश पारित किया, जिसमें राज्य सरकार पर सुरक्षा व्यवस्था में खामियों का आरोप लगाया गया था, जिसके वह हकदार हैं। उनके वकील ने शिकायत की कि जेड-श्रेणी की सुरक्षा के मामले में पायलट कार रूट-लाइनिंग के प्रावधानों की प्रक्रियाओं, जिसके वे हकदार हैं, का अक्सर सख्ती से पालन नहीं किया जाता है।
राज्य सरकार के सूत्रों ने कहा कि चूंकि सरकार के नेता को पहले से ही केंद्र सरकार द्वारा प्रदान की गई केंद्रीय सशस्त्र बल सुरक्षा कवर प्राप्त है, इसलिए राज्य सरकार से समान व्यवस्था हमेशा आवश्यक नहीं होती है। लेकिन उन्होंने स्वीकार किया कि केंद्र द्वारा प्रदत्त सुरक्षा के बाद भी, विपक्ष के नेता राज्य-व्यवस्था सुरक्षा की मांग कर सकते हैं, इसके लिए वह कानूनी रूप से हकदार हैं। अधिकारी ने अतीत में कई बार शिकायत की थी कि राज्य सरकार न केवल उन्हें उनकी वैध सुरक्षा व्यवस्था से वंचित कर रही है, बल्कि कई मौकों पर प्रशासन का उपयोग करके उन्हें परेशान भी कर रही है। उनके अनुसार, सार्वजनिक बैठक की अनुमति के लिए हर बार प्रशासन द्वारा अनुमति न दिए जाने पर अदालत का रुख करने की घटनाएं इस बात का एक उत्कृष्ट उदाहरण है कि उन्हें किस तरह के उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा शुभेंदु ने आरोप लगाया था कि कोलकाता में ट्रैफिक सिग्नल पर रोक कर उनके चालान काटे जाते हैं।