कोलकाता : कलकत्ता हाई कोर्ट ने सोमवार को पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में पिछले माह देसी बम विस्फोट की घटना में पांच बच्चों के घायल होने के मामले में राज्य सरकार से जवाब मांगा है। मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से कराने की मांग वाली एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति राजर्षि भारद्वाज के खंडपीठ ने राज्य सरकार को दो हफ्ते के भीतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता अरिजीत मजूमदार ने बताया कि घटना राष्ट्रीय जांच एजेंसी अधिनियम 2008 के तहत अनुसूचित अपराध की श्रेणी में आती है और इस प्रकार की घटना की एनआईए जांच कराई ही जानी चाहिए। राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता सोमेंद्र नाथ मुखर्जी ने पक्ष रखा और कहा कि पुलिस इस मामले में उचित जांच कर रही है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने दो हफ्ते के भीतर राज्य सरकार से इस बाबत हलफनामा (एफिडेविट) दाखिल करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 12 जुलाई को मुकर्रर की गई है। न्यायालय ने याचिका की एक प्रति एनआईए को देने और सुनवाई का हिस्सा बनाने को कहा है। साथ ही केंद्र सरकार को भी इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख के बारे में सूचित करने को कहा गया है।
उल्लेखनीय है कि पिछले महीने भारत-बांग्लादेश सीमा के पास कालियाचक के गोपालनगर गांव में खेल रहे बच्चों ने बॉल समझकर देसी बम उठा लिया था जिसमें ब्लास्ट होने से पांच बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इससे पहले, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने भी पश्चिम बंगाल के अधिकारियों से देसी बम विस्फोट में घायल हुए बच्चों को विशेष चिकित्सा उपचार देने के लिए कहा था। पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को लिखे पत्र में, एनसीपीसीआर ने उनसे घटना की विस्तृत जांच करने और दस दिनों के भीतर एक रिपोर्ट देने को कहा है।
उल्लेखनीय है कि हाल ही में हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल राज्य के अपराध जांच विभाग (सीआईडी) से बीरभूम जिले में विस्फोटों की जांच एनआईए को हस्तांतरित करने का आदेश दिया है। उस समय कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि केंद्रीय एजेंसी को अनुसूचित अपराध की जांच में अग्राधिकार है।