कोलकाता : पश्चिम बंगाल में स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) के जरिए शिक्षकों की नियुक्ति में बड़े पैमाने पर धांधली और पैनल की मियाद खत्म होने के बावजूद 90 से अधिक लोगों की नियुक्ति मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट सख्त हो गया है। हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति अभिजीत गांगुली ने एसएससी पैनल के तत्कालीन सलाहकार शांति प्रसाद सिन्हा को आवश्यकता पड़ने पर गिरफ्तार कर जेल भेजने को कहा है। उन्होंने कहा है कि सिन्हा ही मुख्य अपराधी हैं, उनसे सघन पूछताछ जरूरी है। गत गुरुवार की रात ढाई बजे तक सिन्हा से सीबीआई की टीम ने पूछताछ की थी। उन्हें आज मंगलवार को जांच एजेंसी के दफ्तर में हाजिर होना था लेकिन वे नहीं पहुंचे, जिसके बाद कोर्ट ने उपरोक्त सख्त आदेश दिया है।
इसके पहले गत सोमवार को सीबीआई ने कोर्ट के आदेश के बाद एसएससी के चार तत्कालीन सलाहकारों तत्कालीन शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी के विशेष अधिकारी रहे सुकांत आचार्य, प्रवीण कुमार बनर्जी, आलोक कुमार सरकार और तापस पांजा से पूछताछ की थी। 2019 में जब शिक्षकों की नियुक्ति हुई थी, तब राज्य सरकार ने पांच सदस्यों की सलाहकार समिति गठित की थी। इनमें से उक्त चारों के अलावा शांति प्रसाद सिन्हा भी थे। उनसे गत गुरुवार रात को ही सीबीआई की टीम पूछताछ कर चुकी है।
न्यायमूर्ति अभिजीत गांगुली ने शिक्षक नियुक्ति में धांधली संबंधित कई मामले की जांच सीबीआई को सौंपी है लेकिन खंडपीठ ने उनके हर एक फैसले पर रोक लगा दी थी। इसे लेकर उन्होंने सवाल खड़ा किया था। सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश को पत्र लिखकर उन्होंने मामले में हस्तक्षेप करने को कहा था और पूछा था कि आखिर मेरे हर फैसले पर किस वजह से रोक लग रही है, उसकी जांच होनी चाहिए। इसके बाद सोमवार को न्यायमूर्ति हरीश टंडन की खंडपीठ ने ऐसे सभी मामलों की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है, जिसके बाद भ्रष्टाचार संबंधी मामलों की सीबीआई जांच का रास्ता साफ हो गया है।
उल्लेखनीय है कि 2019 में 98 शिक्षकों की नियुक्ति हुई थी, जिनमें से 90 शिक्षकों की नियुक्ति की सिफारिश एसएससी नियुक्ति पैनल ने नहीं की थी बल्कि इन पांचों सलाहकार समिति के सदस्यों ने इन्हें नौकरी देने का निर्देश दिया था।