कोलकाता : हिन्दी बोलियों का सम्मिश्रण है। भाषा किसी अन्य भाषा की शत्रु नहीं हो सकती है। यह बात उमेशचन्द्र कॉलेज के हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. कमल कुमार ने बंगबासी इवनिंग कॉलेज के तत्वावधान में गुरुवार को आयोजित ‘वैश्विक स्तर पर हिन्दी : दशा और दिशा’ विषयक हिन्दी दिवस के कार्यक्रम में बतौर प्रधान वक्ता कही। उन्होंने हिन्दी के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य एवं भाषाई संकट पर अपनी चिंता जाहिर करते हुए मातृभाषा की अधिकाधिक प्रयोग करने की अपील की।
इसके साथ ही उन्होंने भाषिक चेतना के विकास के लिए आयोजकों को बधाई दी। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कलकत्ता विश्वविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. राम प्रवेश रजक ने ‘हिन्दी दिवस’ की शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि मौजूदा समय में भाषा के राजनैतिक स्वरूप से होने वाले मानवता के हनन से हमें बचना होगा। मातृभाषा जीवन जीने की कला सिखाती है।
कार्यक्रम का शुभारम्भ विद्यादात्री माता सरस्वती के चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित करने के साथ हुआ। अतिथियों का स्वागत उप-प्राचार्य डॉ. प्रसेनजीत मुख़र्जी, प्रो. सुपर्णा बनर्जी और प्रो. ऋचा ने किया। स्वागत भाषण देते हुए प्राचार्य डॉ. संजीव चट्टोपाध्याय ने हिन्दी भाषा के महत्व को उजागर किया। उप-प्राचार्य डॉ. प्रसेनजीत मुखर्जी ने अपने बीज भाषण में सामासिक संस्कृति वाले भारत देश में हिन्दी की अहमियत और सार्थकता पर महत्त्वपूर्ण विचार प्रकट किया।
प्रो. सुपर्णा बनर्जी और बंगबासी ग्रुप ऑफ कॉलेज इम्प्लॉयी एसोसिएशन के सभापति जवाहर लाल दास ने हिन्दी दिवस आयोजन की सराहना करते हुए विद्यार्थियों को आशीष प्रदान किया। विवेक पाण्डेय (तृतीय सत्र) और ऋतु सिंह (प्रथम सत्र) ने अपने सुमधुर काव्य आवृति से सभा का मन मोह लिया। कार्यक्रम के अंतिम चरण में षष्ठम् सत्र के विद्यार्थियों रंजना झा, अंजली सिंह, अंजली दास, करन गुप्ता, रूबी आदि का विदाई एवं निलेश वर्मा, ऋतु आदि का विभाग ने स्वागत किया एवं अतिथियों ने उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए शुभाशीष दी।
विभाग के अतिथि प्राध्यापक प्रो. परमजीत कुमार पंडित ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन हिंदी विभाग की अध्यक्षा प्रो. दीक्षा गुप्ता ने किया। हिंदी एवं अन्य विभाग के शिक्षार्थियों ने बहुत ही उत्साह के साथ कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस अवसर पर सुरेन्द्रनाथ सांध्य कॉलेज के हिंदी विभाग की प्राध्यापक प्रो. मधुलिका तिवारी, प्रो. दिव्या प्रसाद, प्रो. विवेक और विद्यार्थियों एवं सेठ सूरजमल जालान पुस्तकालय के पुस्तकाध्यक्ष श्रीमोहन तिवारी की गरिमामयी उपस्थिति रही।