हावड़ा : हावड़ा के हिंदी विश्वविद्यालय में ‘पश्चिम बंगाल में हिंदी की दशा और दिशा’ विषय पर एक दिवसीय राज्य स्तरीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ पश्चिम बंगाल शिक्षक प्रशिक्षण, शिक्षक योजना एवं प्रबंधन विश्वविद्यालय एवं डायमंड हार्बर महिला विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. सोमा बंद्योपाध्याय एवं हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. दामोदर मिश्र ने किया। प्रथम सत्र की मुख्य अतिथि प्रो. सोमा बंद्योपाध्याय ने कहा कि हिंदी भारतवर्ष में सेतु की तरह है और इस सेतु से होते हुए तमाम भारतीय भाषाएं यात्रा करती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कोलकाता महानगर एक बरगद के पेड़ के समान है जिस तरह से बरगद के पेड़ के नीचे छोटे-छोटे पेड़ों और मनुष्यों को संरक्षण मिलता है उसी तरह महानगर कोलकाता वह भूमि है जहां अलग-अलग जगहों से आए लोगों को संरक्षण मिलता है।
प्रो. दामोदर मिश्र ने कहा कि बंगाल में हिंदी की क्या स्थिति है, इसका जीता जागता उदाहरण हिंदी विश्वविद्यालय है। हिंदी विश्वविद्यालय के माध्यम से हिंदी भाषियों सहित समाज को लाभ हो। इस उद्देश्य से हिंदी विश्वविद्यालय की स्थापना की गयी है। संगोष्ठी के संयोजक डॉ. अभिजीत सिंह ने कहा कि बंगाल में हिंदी के लिए जो कुछ भी किया जा रहा है वह सराहनीय है। विश्वविद्यालय के कुलसचिव सुकृति घोषाल ने कहा कि हिंदी विश्वविद्यालय की स्थापना हिंदी और बांग्ला के बीच अच्छा संबंध बनाने के लिए की गयी।
दूसरे सत्र में विशिष्ट वक्ता सूचना एवं संस्कृति पश्चिम बंगाल के हिंदी संपादक जय प्रकाश मिश्र ने कहा कि हिंदी को राष्ट्रभाषा के पद पर आसीन करने में आपसी विद्वेष बाधक है। रवींद्र भारती विश्वविद्यालय के प्रो. ऋषि कुमार ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन के समय बंगाल के समाज सुधारकों का महत्वपूर्ण स्थान था और उन्होंने संपर्क के लिए हिंदी भाषा को अपनाया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विद्यासागर विश्वविद्यालय के प्रो. प्रमोद कुमार प्रसाद ने कहा कि हिंदी की दशा एवं दिशा सुधारने के लिए इसे और ज्यादा रोजगारमूलक बनाना होगा। समानांतर सत्र की अध्यक्षता करते हुए काजी नजरूल इस्लाम महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डॉ. संतराम ने कहा कि हिंदी में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। इस अवसर पर छात्र सप्ताह समारोह में उत्कृष्ट प्रदर्शन हेतु हिंदी विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. जे.के. भारती, डॉ. श्रीनिवास यादव सिंह और मधु सिंह ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. विकास कुमार साव एवं परीक्षा नियंत्रक सुब्रत मंडल ने किया। संगोष्ठी का संयोजन प्रो. मंटू दास और प्रो. प्रतीक सिंह ने किया। तकनीकी सहयोग राहुल गौड़ ने किया।