कोलकाता : केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री निरंजन ज्योति ने राज्य में तृणमूल कांग्रेस के साथ बैठकर बात करने की पेशकश की है। शनिवार को कोलकाता पहुंची मंत्री ने साल्टलेक स्थित भाजपा कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि मैं सारी जानकारी लेकर आई हूं। मैं कोलकाता में कहीं भी बैठ सकती हूं और तृणमूल से बात कर सकती हूं। यदि आवश्यक हो तो राज्य पंचायत कार्यालय में भी बैठक आयोजित की जा सकती है। लेकिन तृणमूल के लोग नहीं बैठेंगे। वे बात नहीं करना चाहते। वे नाटक जारी रखना चाहते हैं।
केंद्रीय मंत्री ने यह भी दावा किया कि वह पिछले मंगलवार को कृषि भवन से नहीं भागी थीं। तृणमूल प्रतिनिधिमंडल के लिए ढाई घंटे तक इंतजार किया लेकिन तृणमूल बात नहीं करना चाहती थी। इसके बजाय उन्हें हंगामा खड़ा करना था।
केंद्रीय मंत्री शनिवार दोपहर कोलकाता एयरपोर्ट से भाजपा कार्यालय पहुंचीं। उन्होंने दावा किया कि 2019, 2020, 2021, 2022 में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने राज्य सरकार को पत्र लिखा था। उस पत्र में कहा गया था कि हुगली, पूर्व बर्दवान समेत विभिन्न जिलों में 100 दिनों के काम में अनियमितता बरती गयी है। कार्रवाई करनी होगी लेकिन राज्य सरकार चुप रही। इसके साथ ही निरंजन ने यह भी कहा कि 2005 के मनरेगा एक्ट में केंद्र सरकार को पैसा रोकने का अधिकार है। कुछ भी गैरकानूनी नहीं हुआ है।
भाजपा नेता पिछले कुछ दिनों से मांग कर रहे हैं कि तृणमूल हर चीज को कोर्ट में ले गई है। 100 दिन के काम और आवास योजना के पैसे को लेकर सत्ताधारी दल कोर्ट क्यों नहीं जा रहा है? उस संदर्भ में केंद्रीय मंत्री ने कहा, “वे जानते हैं कि अगर वे अदालत में जाएंगे, तो अदालत सीबीआई जांच का आदेश देगी।”
तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा ने आरोप लगाया कि केंद्रीय मंत्री पिछले मंगलवार को ढाई घंटे तक कृषि भवन में बैठे तृणमूल प्रतिनिधियों को छोड़ कर पिछले दरवाजे से भाग निकली थीं। मंत्री ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि महुआ झूठ बोल रही हैं। मैं हर दिन गेट नंबर चार से कृषि भवन में प्रवेश करती हूं और बाहर निकलती हूं। उस दिन मैंने वैसा ही किया। कोई पिछला दरवाजा नहीं है।
संवाददाता सम्मेलन में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार, विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी और भाजपा नेतृत्व ने भाग लिया। केंद्रीय मंत्री ने आंकड़ों के साथ दावा किया कि यूपीए सरकार के नौ साल में बंगाल को 100 दिन के काम के लिए 18 हजार करोड़ रुपये मिले। नरेन्द्र मोदी के नौ साल के शासन में बंगाल को 54 हजार करोड़ रुपये मिले। केंद्रीय मंत्री का बयान कि अगर केंद्र सरकार ने यही मानसिकता बंगाल के साथ अपनाई होती तो क्या राज्य में इतना पैसा आता?
उल्लेखनीय है कि मनरेगा के फंड भुगतान की मांग पर अभिषेक बनर्जी पिछले तीन दिनों से राजभवन के बाहर धरने पर बैठे हैं।