नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को जी-20 के विकास मंत्रियों की बैठक में वैश्विक दक्षिण से जुड़े देशों की विकास जरूरतों का मुद्दा उठाया और कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी पीछे ना छूटे। इसके अलावा उन्होंने डेटा के लोकतांत्रिक करण का विषय भी रखा और अंतराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं में रिफॉर्म की सिफारिश की।
प्रधानमंत्री ने विकास को वैश्विक दक्षिण का प्रमुख मुद्दा बताया। उन्होंने कहा कि कोविड के चलते यह देश सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। यहां पर खाद्य, तेल और उर्वरकों का संकट पैदा हो गया है। वही भू-राजनीतिक घटनाक्रम ने भी इस चिंता को और बढ़ा दिया है। उन्होंने सभी को सामूहिक दायित्व का ध्यान कराते हुए कहा कि सतत विकास लक्ष्यों में किसी को पीछे नहीं छोड़ा जाना चाहिए। यहां पर प्रधानमंत्री ने कर्ज के बढ़ते बोझ और वैश्विक वित्तीय संस्थाओं में बदलाव का मुद्दा भी उठाया। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे प्रयास व्यापक, समावेशी, निष्पक्ष और सतत होने चाहिए और हमें सतत विकास लक्ष्य की प्राप्ति के दिशा में निवेश करना चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी ने वाराणसी में आयोजित जी-20 देशों के विकास मंत्रियों की बैठक को आज वीडियो संदेश से संबोधित किया। काशी से सांसद देश के प्रधानमंत्री मोदी ने वाराणसी को पुरातन, जीवंत शहर और लोकतंत्र की जननी कह कर संबोधित किया।
उन्होंने कहा कि काशी ज्ञान, चर्चा, संवाद, संस्कृति और अध्यात्म की सदियों से केंद्र रही है। यह भारत के विविधता की विरासत को समेटे है और यहां देशभर से लोग आते हैं। उन्होंने आगंतुकों को केवल बैठकों तक सीमित ना रहकर काशी की यात्रा करने और गंगा आरती के दर्शन करने का लाभ उठाने को कहा।
भारत में आकांक्षी जिलों से जुड़ी योजना और उसके लाभ का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हमारे किए गए प्रयास से यह जिले अब देश के विकास में उत्प्रेरक बन गए हैं। उन्होंने जी 20 देशों से इसको स्टडी करने की बात कही।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में तकनीक का उपयोग कर लोगों को सशक्त बनाया गया है। भारत इस संबंध में अपना अनुभव सहयोगी देशों के साथ साझा करने के लिए भी तैयार है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि बैठक में हुई चर्चा से विकासशील देशों में डाटा फॉर डिस्कोर्स, डाटा फॉर डेवलपमेंट और चेटा फॉर डिलीवरी से जुड़े कारगर कदम उठाए जाएंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में महिला सशक्तिकरण केवल भागीदारी तक नहीं बल्कि उन्हें विकास में नेतृत्व देने से जुड़ा है। आज के समय में महिलाएं विकास का एजेंडा तय कर रही हैं। हम देशों से आग्रह करते हैं कि वह परिवर्तनकारी योजना का अपनाएं।