इतिहास के पन्नों में : 23 जनवरी – तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा

‘भोर से पहले अंधेरा सबसे गहन होता है। यह वही घड़ी है जब सबसे गहरा अंधेरा है। बहादुर बनो और संघर्ष जारी रखो। आजादी आपके हाथ में है।’

31 अगस्त 1942 को नेताजी सुभाषचंद्र बोस का आजाद हिंद रेडियो (जर्मनी) से राष्ट्र के नाम लंबे संदेश का हिस्सा।

23 जनवरी 1897 को ओड़िसा के कटक में पैदा हुए सुभाषचंद्र बोस ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नयी धार और रंगत दी। महात्मा गांधी से गहरे मतभेद के बाद कांग्रेस पार्टी तो छोड़ी लेकिन महात्मा गांधी का सम्मान नहीं। उन्होंने ही पहली बार गांधीजी को ‘महात्मा’ कहकर संबोधित किया। देश की स्वतंत्रता के लिए महात्मा गांधी से अलग दृष्टि और नये रास्ते पर चलते हुए वे महात्मा गांधी का आशीर्वाद लेना नहीं भूले।

6 जुलाई 1944 को रंगून से एक रेडियो संदेश के जरिये उन्होंने पहली बार महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता का संबोधन दिया और जापान से मदद लेने का कारण एवं आजाद हिंद फौज की स्थापना का अपना उद्देश्य भी बताया।

एक सुप्रतिष्ठित अधिवक्ता परिवार में पैदा हुए नेताजी की अच्छी शिक्षा हुई। कलकत्ता के स्कॉटिश चर्च कॉलेज से उन्होंने दर्शन शास्त्र में स्नातक की डिग्री हासिल की। 1919 में भारतीय प्रशासनिक सेवा की तैयारी के लिए वे इंग्लैंड गए। 1920 में उन्होंने इस परीक्षा में चौथा स्थान हासिल किया लेकिन जलियांवाला बाग के बर्बर नरसंहार की वजह से सुभाषचंद्र बोस पहले ही व्यथित थे। जिससे चयन के कुछ माह बाद ही 1921 में प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा दे दिया। वे देश लौट आए।

यह फैसला उनकी जिंदगी का निर्णायक फैसला था। वे महात्मा गांधी के संपर्क में आए और उनके निर्देश के मुताबिक देशबंधु चितरंजन दास के साथ काम शुरू कर दिया। आगे चलकर महात्मा गांधी से गहरे राजनीतिक मतभेद हुए। 1939 में कांग्रेस का अध्यक्ष बनने के बाद उससे इस्तीफा दिया। इस दौरान 11 बार जेल की सजा काटी।

नेताजी के जीवन में यह एक और अहम घड़ी थी, जब उन्होंने एक नयी राह पर चलने का फैसला किया। 1941 में सुभाषचंद्र बोस घर में नजरबंदी के दौरान भागने में सफल हो गए। गोमो रेलवे स्टेशन से शुरू हुई उनकी यह यात्रा अफगानिस्तान के रास्ते जर्मनी पहुंचकर खत्म हुई। उन्होंने जर्मनी और जापान से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में मदद का आग्रह किया। जनवरी 1942 को उन्होंने रेडियो बर्लिन का प्रसारण शुरू कर स्वतंत्रता सेनानियों में एक नयी उर्जा भर दी। 1943 में उन्होंने आजाद हिंद फौज का गठन कर नारा दिया- तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा।

अन्य अहम घटनाएंः

1814: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के जनक माने जाने वाले अलेक्जेंडर कनिंघम का जन्म।

1926ः शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे का जन्म।

1963ः भारतीय क्रांतिकारी नरेंद्र मोहन सेन का निधन।

1975ः असम के प्रमुख नेता और गांधीवादी विचारों के अनुयायी अमिय कुमार दास का निधन।

1953: भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त रहे अचल कुमार ज्योति का जन्म।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *