इतिहास के पन्नों मेंः 30 सितंबर : माता दुर्गा के लॉकेट से हुई थी `महाराज’ की पहचान

30 सितंबर 2001 की दोपहर करीब 01 बजे। आसमान में घने काले बादल और रह-रहकर कड़क रही बिजली, मानो किसी अनहोनी को लेकर आगाह कर रही थी। तभी खबर फैली कि उत्तर प्रदेश के मैनपुरी के पास एक विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ है। अगले कुछ घंटे के भीतर पता चला कि इस दुर्घटना में 10 सीटर वाले विमान में सवार सभी आठ लोगों की जान चली गई। विमान में सवार थे कांग्रेस के दिग्गज नेता और ग्वालियर के महाराज माधवराव सिंधिया।

सेसना एयरकिंग-90 विमान पर सवार होकर माधवराव सिंधिया सहित आठ लोगों ने दिल्ली के सफदरजंग हवाई अड्डे से दोपहर 12 बजकर 49 मिनट पर कानपुर के लिए उड़ान भरी थी। सिंधिया को उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में जनसभा को संबोधित करना था। अचानक भैंसरोली के पास विमान क्रैश हो गया। जिसमें विमान में सवार सभी लोगों की जान चली गई। बुरी तरह से झुलसे शवों की पहचान मुश्किल थी लेकिन माधवराव सिंधिया की उनके गले के लॉकेट और जूतों से पहचान हुई। घटना की जांच में पता चला कि प्लेन में ब्लैक बॉक्स ही नहीं था। लिहाजा, विस्तृत जांच मुमकिन नहीं थी।

ग्वालियर राजघराने के उत्तराधिकारी और कांग्रेस के दिग्गज नेता माधवराव सिंधिया में तमाम संभावनाएं थीं लेकिन उनकी असमय मौत हो गई। उन्होंने लगातार 9 बार चुनावी जीत दर्ज की। राजीव गांधी मंत्रिमंडल के वे ऐसे नेता थे जिनका मंत्रालय कभी बदला नहीं गया।

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