इतिहास के पन्नों में: 12 फरवरी – लाखों की जान लेने वाली बीमारी पर विजय का दिन

मशहूर निर्देशक श्याम बेनेगल की फिल्म ‘आक्रोश’ जब रिलीज हुई तो दर्शकों का बड़ा तबका फिल्म के हीरो ओमपुरी के बेमिसाल अभिनय पर मुग्ध था तो ऐसे लोगों की संख्या भी कम नहीं थी जो अचरज में थे कि चेहरे पर चेचक के बेशुमार दाग वाले नौजवान को फिल्म का हीरो बनाया गया। इससे पहले तक तमाम खूबसूरत चेहरे वाले ही हीरो हुआ करते थे।

आज कोरोना महामारी ने जिस तरह दुनिया भर में दहशत फैला दी है, चेचक ने उससे कहीं ज्यादा लंबे समय तक दुनिया को मानवीय नुकसान पहुंचाया। वह इसलिए क्योंकि तब ऐसी बीमारियों से लड़ने के लिए दुनिया के अधिकतर देशों में संसाधन नहीं थे। आज इस बात पर भरोसा करना कठिन है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक चेचक 3000 साल तक मानव जाति के लिए खतरा बना रहा। अकेले 20वीं शताब्दी में चेचक ने दुनिया भर में 30 करोड़ लोगों की जान ले ली।

चेचक (स्मॉलपॉक्स) तेजी से फैलने वाली बीमारी थी और बुखार आना व शरीर पर लाल चकत्ते पड़ना, इसके लक्षण थे। मरीज की जान लेने वाली इस बीमारी ने पूरी दुनिया को डराकर रख दिया था। खासतौर पर गरीब देशों के लिए इस संकट से पार पाना बहुत चुनौतीपूर्ण था।

इसे लेकर भारत में कई तरह की धारणाएं भी बनीं, जिनमें शीतला माता के क्रोध को इस बीमारी का कारण बताया गया। नीम के पत्तों से इसके इलाज के देशी नुस्खे भी अपनाए गए। देश में जगह-जगह आज भी शीतला माता के मंदिर हैं।

भारत में चेचक ने आजादी के दौर 1948 में सबसे अधिक नुकसान पहुंचाया। जबकि 1974 में इस बीमारी ने 30000 भारतीयों की जान ले ली। 1966 में भारत की पूरी आबादी को चेचक का टीका दिये जाने का लक्ष्य रखा जो कई वर्षों बाद संभव हो पाया। चेचक के टीके के निशान संबंधित व्यक्ति की बाहों पर ताउम्र बने रहे।

1977 में भारत ने खुद को चेचक मुक्त घोषित किया। भारत में चेचक का आखिरी मामला 1975 में आया लेकिन दो वर्षों की लगातार निगरानी के बाद देश चेचक मुक्त हुआ। दुनिया के दूसरे देशों में अगले दो साल बाद तक चेचक के मामले पाए जाते रहे। 1977 में सोमालिया में चेचक का आखिरी मामला प्रकाश में आया। 1979 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेचक पर मानव के विजय की घोषणा की और 1980 के वर्ल्ड हेल्थ एसेंबली में इस विजय अभियान की पूर्णता का ऐलान किया गया।

अन्य अहम घटनाएं:

1742: महान मराठा दिग्गज नाना फड़नवीस का जन्म।

1809: ब्रिटिश वैज्ञानिक चार्ल्स डार्विन का जन्म।

1809: अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति अब्राहिम लिंकन का जन्म।

1818: चिली ने स्पेन से आजादी की घोषणा की।

1948: महात्मा गांधी की अस्थियों को इलाहाबाद में गंगा नदी के साथ-साथ दूसरे पवित्र स्थलों पर विसर्जित किया गया।

2009: भारतीय वैज्ञानिकों ने विश्व का पहला भैंस क्लोन विकसित किया। जो भारतीय वैज्ञानिकों की बड़ी उपलब्धियों में शामिल है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *