‘उतरे थे कभी ‘फ़ैज़’ वो आईना-ए-दिल में, आलम है वही आज भी हैरानी-ए-दिल का।‘ हिंदुस्तान और पाकिस्तान, दोनों देशों में लोगों की जुबान पर कायम रहने वाले शायर फैज अहमद फैज का यह शेर, उन्हीं पर खूब मौजूं है। साल 1911 की 13 फरवरी को सियालकोट में जन्मे ‘गुलों में रंग भरे बाद-ए-नौ-बहार चले, चले भी आओ कि गुलशन का कारोबार चले’ कहने वाला यह शायर यह भी बोल गया-‘इक गुल के मुरझाने पर क्या गुलशन में कोहराम मचा, इक चेहरा कुम्हला जाने से कितने दिल नाशाद हुए।’ असल में फैज की शायरी प्यार-मोहब्बत के साथ इंकलाब की है। तभी तो पाकिस्तान में तब के तानाशाह शासक जियाउल हक ने फैज अहमद फैज की शायरी पर पाबंदी लगा दी थी।
अलग बात है कि फैज के जेल में रहते इकबाल बानो ने उनकी नज्म ‘हम भी देखेंगे’ गाकर जियाउल हक की सरकार को परेशान कर डाला। नज्म की कुछ लाइनें थीं- ‘हम अहल-ए-सफ़ा मरदूद-ए-हरम, मसनद पे बिठाए जाएंगे, सब ताज उछाले जाएंगे, सब तख़्त गिराए जाएंगे।’ ऐसी नज्मों और गजलों के फनकार फैज अहमद फैज को अपने ही देश में वर्षों जेल में रहना पड़ा। अलग बात है कि एक समय जो रचनाएं पाकिस्तान रेडियो और टीवी पर प्रतिबंधित थीं, वह पाकिस्तान सहित दुनिया के कई देशों में लोगों की मनपसंद बन गईं।
अन्य महत्वपूर्ण घटनाएं:
1856: ईस्ट इंडिया कंपनी का लखनऊ और अवध पर कब्जा।
1879: सरोजनी नायडू का जन्म। आजादी के आंदोलन में यह एक बड़ा नाम।
1945: सोवियत संघ का जर्मनी के साथ 49 दिन के युद्ध के बाद हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट पर कब्जा।
1959: बार्बी डॉल की बिक्री शुरू। यह सुंदर सी गुड़िया दुनियाभर में पसंद की जाती है।
1966: सोवियत संघ का पूर्वी कजाखस्तान में परमाणु परीक्षण।
1960: फ्रांस का सहारा के रेगिस्तान में पहला परमाणु परीक्षण।
1991: इराक की राजधानी बगदाद पर अमेरिका के बमवर्षक विमानों ने बम बरसाए।
2001: मध्य अमेरिकी देश अल सल्वाडोर में भूकंप से करीब 400 लोगों की मौत।
2010: अफगानिस्तान, अमेरिका और ब्रिटेन की सेनाओं का अफगानिस्तान में व्यापक अभियान शुरू।