इतिहास के पन्नों में : 18 फरवरी – आध्यात्मिक चेतना के प्रसार में जीवन लगाया

भक्तिकाल के प्रमुख कवियों में शामिल वैष्णव धर्म के भक्ति योग के परम प्रचारक चैतन्य महाप्रभु का आध्यात्मिकता के प्रसार के साथ कई दूसरे क्षेत्रों में भी अहम योगदान है। उन्होंने अराजक और अस्थिरता भरे दौर में हिन्दू-मुस्लिम एकता पर जोर दिया, जाति व ऊंच-नीच के भेदभाव को दूर करने का अहम संदेश दिया। विलुप्त होते वृन्दावन को दोबारा बसाने का श्रेय उन्हें दिया जाता है। कहा तो जाता है कि चैतन्य महाप्रभु न होते तो वृन्दावन आजतक मिथक रहता। उन्होंने वृन्दावन को बसाया और जीवन का आखिरी हिस्सा यहीं गुजारा।

चैतन्य महाप्रभु का जन्म 18 फरवरी 1486 में पश्चिम बंगाल के नवद्वीप (नादिया) गांव में हुआ जिसे अब मायापुर कहा जाता है। राधा-कृष्ण के अनन्य भक्त चैतन्य महाप्रभु ने वैष्णवों के गौड़ीय संप्रदाय की आधारशिला रखी। उन्होंने भजन गायकी की नयी शैली विकसित की। उनके द्वारा प्रारंभ किये गए महामंत्र नाम संकीर्तन का देश-विदेश के स्तर पर व्यापक प्रसार हुआ।उनके ऊपर कई ग्रंथ लिखे गए जिनमें प्रमुख है चैतन्य चरितामृत, चैतन्य भागवत और चैतन्य मंगल।

चैतन्य महाप्रभु का संदेश था- ‘श्रीकृष्ण ही एकमात्र देव हैं। वे मूर्तिमान सौंदर्य हैं, प्रेमपरक हैं। चैतन्य मत के व्यूह सिद्धांत का आधार प्रेम और लीला है। गोलोक में श्रीकृष्ण की लीला शाश्वत है। प्रेम उनकी मूल शक्ति है और वही आनंद का कारण है। यही प्रेम भक्त के चित्त में स्थित होकर महाभाव बन जाता है। यह महाभाव ही राधा है। राधा ही श्रीकृष्ण के सर्वोच्च प्रेम का आलम्बन हैं। वही उनके प्रम की आदर्श प्रतिमा है। गोपी-कृष्ण लीला प्रेम का प्रतिफल है।’

अन्य अहम घटनाएं:

1405: तैमूरलंग की मौत।

1546: जर्मन धर्म सुधारक मार्टिन लूथर का निधन।

1836: महान संत स्वामी विवेकानंद के गुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस उर्फ गदाधर चटर्जी का जन्म।

1836: भारतीय क्रांतिकारी मदनलाल धींगरा का जन्म।

1894: स्वतंत्रता सेनानी और राजनीतिज्ञ रफी अहमद किदवई का जन्म।

1899: स्वतंत्रता सेनानी जयनारायण व्यास का जन्म।

1925: प्रख्यात लेखिका कृष्ण सोबती का जन्म।

1926: अभिनेत्री नलिनी जयवंत का जन्म।

1927: सुप्रसिद्ध संगीतकार खय्याम का जन्म।

1933: अभिनेत्री निम्मी का जन्म।

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