16 अप्रैल 1853 में बाम्बे और ठाणे के बीच पहली बार भारतीय रेल जब पटरी पर दौड़ी तो अंदाजा लगाना मुश्किल था कि यह कितना लंबा सफर होगा। इस सफर के लगभग 169 साल बाद दुनिया के पांच सबसे बड़े नेटवर्क वाला भारतीय रेल आज हमारे सामने है। देश के सुदूरतम हिस्सों को एक-दूसरे से जोड़ने वाली भारतीय रेल की समृद्ध यात्रा में 19 फरवरी 1986 अहम पड़ाव है जब भारतीय रेल में कंप्यूटरीकृत आरक्षण सेवा की शुरुआत हुई।
इससे पहले तक रेलवे आरक्षण सेवा मैनुअल हुआ करती थी, जिसमें यात्री रेलवे काउंटर पर निर्धारित फॉर्म भरकर जमा करता और बुकिंग क्लर्क रजिस्टर देखकर बताता कि यात्री ने जिस ट्रेन में आरक्षण के लिए फॉर्म भरा है, उसमें बर्थ है या नहीं। जिस ट्रेन में बर्थ की उपलब्धता है, उसके रिजर्वेशन के लिए दोबारा फॉर्म भरकर लंबी-लंबी कतारों में खड़ा होना पड़ता था। अलग-
अलग स्थानों के लिए अलग-अलग रजिस्टर होता था। यह पूरी प्रक्रिया यात्री और रेलकर्मियों, दोनों के लिए पेचीदा और थकाऊ तो थी ही, रुपयों के संग्रह का ब्यौरा रखना भी रेलकर्मियों के लिए कम दुश्वारी भरा नहीं था। यही व्यवस्था करीबन 150 साल तक चलती रही।
साल 1985 में भारतीय रेल ने नई दिल्ली से कंप्यूरीकृत आरक्षण का पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया। कंप्यूटर संबंधी सारी गतिविधियों के लिए एक अम्ब्रेला संगठन के रूप में दिल्ली के चाणक्यापुरी में रेलवे सूचना प्रणाली केंद्र की स्थापना हुई जिसे क्रिस का नाम दिया गया। इसका काम रेलवे की प्रमुख कंप्यूटर प्रणालियों के विकास को देखना था। लेकिन सबसे प्रमुख काम कंप्यूटरीकृत आरक्षण सेवा विकसित करना था। किसी भी काउंटर से किसी भी गाड़ी में बर्थ के रिजर्वेशन की स्थिति और रिजर्वेशन के लिए यात्री सुविधाओं को देखना, इसका काम था। इस प्रणाली में अब बहुत सारे बदलावों के बीच भारतीय रेल की आरक्षण सेवा उत्तरोत्तर बेहतर होती गयी है।
अन्य अहम घटनाएंः
1389ः दिल्ली के शासक गयासुद्दीन तुगलक द्वितीय की हत्या।
1473ः हालैंड के सुप्रसिद्ध यूरोपीय खगोलशास्त्री एवं गणितज्ञ निकोलस कॉपरनिकस का जन्म।
1630ः मराठा साम्राज्य के पहले शासक छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म।
1878ः अमेरिकी आविष्कारक थॉमस एडिसन ने फोनोग्राफ का पेटेंट कराया।
1915ः महान स्वतंत्रता सेनानी गोपाल कृष्ण गोखले का निधन।
1925ः सुप्रसिद्ध शिल्पकार राम वी. सुतार का जन्म।
1956ः प्रख्यात विचारक और विद्वान नरेंद्र देव का निधन।
2019ः सुप्रसिद्ध आलोचक डॉ. नामवर सिंह का निधन।