इतिहास के पन्नों में : 14 जनवरी – हजार चौरासी की माँ

पद्मश्री, ज्ञानपीठ, पद्म विभूषण, बंग विभूषण सहित कई दूसरे सम्मानों से प्रतिष्ठित लेखिका महाश्वेता देवी का जन्म 14 जनवरी 1926 को अविभाजित भारत के ढाका में हुआ था। उनके पिता मनीष घटक और मां धारीत्री देवी नामचीन लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता थे। ढाका से शुरुआती पढ़ाई के बाद महाश्वेता देवी ने विश्वभारती विवि, शांति निकेतन से अंग्रेजी में स्नातक और कोलकाता विवि से अंग्रेजी में स्नातकोत्तर तक पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने शिक्षक और पत्रकार के रूप में जीवन शुरू किया।

लेखन का विस्तृत फलक छूने वाली महाश्वेता देवी का लेखन कठिन मानव संघर्षों की बेमिसाल दास्तां है। वे उन चंद लेखकों में थीं जो अपने उपन्यासों की भाव भूमि तैयार करने के लिए सुदूर जंगलों और बस्तियों में महीनों रहकर आदिवासियों और गरीबों की मशक्कत भरी जिंदगी और उनके संघर्षों को करीब से महसूस किया। उनकी पहली गद्य रचना ‘झांसी की रानी’ 1956 में प्रकाशित हुई। इसे लिखने के लिए 1857-58 में जिन-जिन इलाकों में क्रांति की लहरें उठी थीं, वहां का दौरा किया। जिसमें झांसी, ग्वालियर, कालपी, सागर, जबलपुर, पुणे, इंदौर, ललितपुर के जंगल शामिल थे।

ऐसा ही उन्होंने बिरसा मुंडा की गाथा लिखते हुए ‘अरण्येर अधिकार’, ‘अग्निगर्भ’, ‘मातृछवि’ , ‘नटी’, ‘1084 की मां’ जैसी दूसरी कृतियों को लिखते हुए भी किया। जिसकी वजह से उनकी कृतियां जीवंत हो उठीं। उनके उपन्यासों पर कुछ फिल्में भी बनीं जिसमें ‘रुदाली’, ‘हजार चौरासी की मां’ शामिल हैं।

उन्हें 1979 में साहित्य अकादमी पुरस्कार, 1986 में पद्मश्री, 1997 में ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया गया। ज्ञानपीठ सम्मान उन्हें नेल्सन मंडेला के हाथों प्रदान किया गया। जिसमें मिली पांच लाख की राशि महाश्वेता देवी ने बंगाल के पुरुलिया आदिवासी समिति को दे दी। 28 जुलाई 2016 को कोलकाता में उनका निधन हो गया।

अन्य अहम घटनाएंः

1742ः सुप्रसिद्ध खगोल शास्त्री एडमंड हैली का निधन।

1919ः शायर और गीतकार कैफी आजमी का जन्म।

1977ः भारत के इकलौते फार्मूला वन चालक नारायण कार्तिकेयन का जन्म।

2017ः पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री सुरजीत सिंह बरनाला का निधन।

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