ऐसी बालिका जिसकी शिक्षा पर पाबंदी थी, आगे चलकर न केवल साहित्यकार बनीं बल्कि बंकिमचंद्र, रवींद्रनाथ टैगोर और शरदचंद्र की गौरवशाली त्रयी के बाद बांग्ला साहित्य व समाज को सबसे अधिक आशापूर्णा देवी ने समृद्ध और प्रभावित किया। वे भारत की पहली महिला लेखिका बनीं, जिन्हें 1976 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
8 जनवरी 1909 में कलकत्ता में पैदा हुईं आशापूर्णा देवी को एक रूढ़ीवादी समाज में स्कूल-कॉलेज जाकर विधिवत शिक्षा प्राप्त करने का अवसर नहीं मिला। लेकिन 13 साल की उम्र में लेखन शुरू करने वाली आशापूर्णा देवी की कृतियों में मुख्य तौर पर नारी जीवन के विभिन्न पक्षों और सामाजिक कुंठा व पारिवारिक जीवन की पेचीदगियां मुखर रूप से सामने आती हैं। उनका लेखन नारी स्वतंत्रता और उसकी संपूर्ण गरिमा की पैरोकार है। उनकी तकरीबन 225 कृतियां हैं, जिनमें से कई कृतियों का भारत की लगभग सभी भाषाओं में अनुवाद हो चुका है।
अपनी विशिष्ट शैली की पहचान रखने वालीं आशापूर्णा देवी को उनकी कृति ‘प्रथम प्रतिश्रुति’ के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनकी प्रमुख कृतियों में ‘बकुल कथा’, ‘सुवर्णलता’, ‘अधूरे सपने’, ‘आनंद धाम’, ‘गाते पाता नील’ आदि हैं। 87 वर्ष की उम्र में 13 जुलाई 1995 को उनका निधन हो गया।
अन्य अहम घटनाएं:
1884: समाज सुधारक व ब्रह्म समाज के संस्थापकों में एक केशवचंद्र सेन का निधन।
1925: साहित्यकार मोहन राकेश का जन्म।
1926: भारतीय ओडिसी नर्तक केलुचरण महापात्र का जन्म।
1929: फिल्म अभिनेता सईद जाफरी का जन्म।
1938: मशहूर फिल्म अभिनेत्री नंदा का जन्म।
1941: भारत सेवाश्रम संघ के स्वामी प्रणवानंद महाराज का निधन।
1995: स्वतंत्रता सेनानी और लोहिया-जयप्रकाश के सहयोगी रहे प्रखर समाजवादी नेता मधु लिमये का निधन।