10 जून 1986 तक भारतीय टीम के नाम क्रिकेट के सबसे खास मैदान, लॉर्ड्स पर टेस्ट मैचों में कोई जीत नहीं थी। जबकि उस समय तक अजीत वाडेकर, नवाब पटौदी, बिशन सिंह बेदी, सुनील गावस्कर जैसे कई महान खिलाड़ी टीम की कप्तानी कर चुके थे। 1971 में अजीत वाडेकर की अगुवाई वाली टीम ने ओवल टेस्ट में इंग्लैंड को 4 विकेट से हराया था जो इंग्लैंड की धरती पर भारत की पहली जीत थी। संयोग से यही सिरीज, इंग्लैंड की धरती पर भारत की पहली टेस्ट सिरीज जीत भी है।
मगर बात लॉर्ड्स पर टेस्ट मैच में भारत की जीत की। लॉर्ड्स के मैदान पर 25 जून 1983 को कपिलदेव की अगुवाई वाली टीम वन-डे विश्वकप जीत चुकी थी। लिहाजा, लॉर्ड्स के मैदान पर टेस्ट मैच में जब भारतीय टीम के सामने जीत का लक्ष्य रखा गया तो कपिलदेव की अगुवाई में ही जीत की इबारत लिखी गई।
10 जून 1986 को भारतीय टीम ने लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड पर इंग्लैंड को पांच विकेट से हराकर इतिहास रच दिया। भारतीय टीम के इंग्लैंड दौरे का यह पहला ही मैच था। जिसमें भारतीय टीम की जीत ने एकबार फिर सभी को हैरान कर दिया। इंग्लैंड की टीम ने पहली पारी में 294 रन बनाए तो जवाब में भारतीय टीम ने पहली पारी 341 पर खत्म की। दूसरी पारी में इंग्लैंड की टीम 180 रनों पर सिमट गई। भारतीय टीम ने पांच विकेट खोकर 136 रनों का निर्धारित लक्ष्य पूरा कर लॉर्डस पर अपनी पहली टेस्ट जीत सुनिश्चित कर दी।
इस यादगार मैच में दिलीप वेंगसरकर ने नाबाद 126 रनों की बेमिसाल पारी खेली तो मोहिंदर अमरनाथ ने 69 रनों की पारी खेली। कपिलदेव ने छक्का लगाकर जीत के लक्ष्य को पूरा किया और मैन ऑफ दी मैच बने। हालांकि दिलीप वेंगसरकर इसके असली हकदार थे।