‘भूख से मरने की बजाय जीएम अनाज खाकर मरना कहीं बेहतर है।’ -यह जवाब है हरित क्रांति के जरिये कृषि क्षेत्र का परिदृश्य बदलने वाले अमेरिकी वैज्ञानिक नॉर्मन बोरलॉग का, जिनके खिलाफ पर्यावरण वादियों का मजबूत तर्क था कि कीटनाशक एवं रासायनिक खादों के अत्यधिक इस्तेमाल के साथ जमीन से ज्यादा पानी सोखने वाली फसलों का प्रयोग भविष्य के लिए अत्यधिक हानिकारक है। इस एतराज पर उन्होंने कहा कि अगर कम जमीन से ज्यादा उपज ली जाती है तो इससे प्रकृति का संरक्षण ही होता है।
दरअसल, बोरलॉग दुनिया को भुखमरी से निजात दिलाने के लिए जीन संवर्धित फसलों के पक्ष में थे और उनकी खोजों ने दुनिया के करोड़ों लोगों का जीवन बचाया। कृषि क्षेत्र में उनके प्रयोगों ने अनाज की समस्या से जूझ रहे भारत सहित अनेक विकासशील देशों में हरित क्रांति का महत्वपूर्ण योगदान है।
भारत में हरित क्रांति में उल्लेखनीय योगदान करने वाले वैज्ञानिक डॉ. एमएस स्वामीनाथन ने बोरलॉग को भूख के खिलाफ संघर्ष करने वाले एक महान योद्धा के रूप में रेखांकित किया है जो दुनिया के हर गरीब तक अन्न की उपलब्धता सुनिश्चित कराना चाहते थे, जिससे भूख से किसी की मौत न हो।
25 मार्च 1914 को पैदा हुए अमेरिकी वैज्ञानिक नॉर्मन बोरलॉग ने 1960 के दशक में ऐसा शोध शुरू किया जिसने जनसंख्या विस्फोट के कारण हर किसी तक अनाज पहुंचाने में विफल होती दुनिया को नया सहारा दिया। उन्होंने गेहूं की बीमारियों से लड़ने वाली किस्म का विकास के बाद उन्होंने पाया कि अगर छोटे पौधे वाली किस्में विकसित की जाय तो पैदावार बढ़ायी जा सकती है।
इस प्रयोग में वे न केवल सफल हुए बल्कि लैटिन अमेरिका में बौने पौधों वाली गेहूं की यह किस्म लोकप्रिय हुई। बाद में उन्होंने अकाल की स्थितियों से दो-चार होने वाले भारत और पाकिस्तान जैसे देशों में इसके बीज और खाद भेजे। इससे अप्रत्याशित नतीजे निकले और ऐसे तमाम देश देखते ही देखते गेहूं उत्पादन में आत्मनिर्भर हो गए। भारत की अनाज उत्पादन दर ने जनसंख्या वृद्धि दर को पीछे छोड़ दिया।
युनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डवलपमेंट (यूएसएआईडी) के विलियम गोर ने नॉर्मन बोरलॉग के इस अभूतपूर्व काम को ‘ग्रीन रिवॉल्यूशन’ का नाम दिया। कृषि क्षेत्र में असाधारण योगदान के लिए बोरलॉग को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
अन्य अहम घटनाएंः
1655ः शनि के सबसे बड़े उपग्रह टाइटन की खोज।
1807ः ब्रिटिश साम्राज्य से दास प्रथा का खात्मा।
1920ः गांधीवादी नेता उषा मेहता का जन्म।
1931ः महान पत्रकार और देशभक्त गणेश शंकर विद्यार्थी का निधन।
1948ः दिग्गज अभिनेता फारुख शेख का जन्म।