इतिहास के पन्नों मेंः 04 मई – भारत की पहली महिला न्यायाधीश

भारत की पहली महिला न्यायाधीश न्यायमूर्ति अन्ना चांडी का जन्म 4 मई 1905 को त्रावणकोर राज्य (अब केरल) में हुआ। बचपन से अधिवक्ता बनने की ख्वाहिश रखने वाली अन्ना चांडी ने इसी वजह से लॉ कॉलेज में दाखिला लिया। हालांकि इस दौरान उनका काफी मजाक उड़ाया गया। 1926 मेंं उन्होंने कानून में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की। अपने दौर में वे कानून की डिग्री हासिल करने वाली राज्य की पहली महिला थीं।

वे 1928 में न्यायालयी सेवा में आईं और त्रावणकोर के तत्कालीन दीवान सर सीपी रामास्वामी ने उन्हें मुंसिफ के रूप में नियुक्त किया। इसके बाद अन्ना चांडी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। वे केरल उच्च न्यायालय में 9 फरवरी 1959- 5 अप्रैल 1967 तक न्यायाधीश के पद पर कार्यरत रहीं। इस दौरान वे किसी भारतीय उच्च न्यायालय में नियुक्त होने वाली पहली महिला न्यायाधीश बनीं। अपने कार्यकाल में अन्ना चांडी ने गहरी छाप छोड़ी।

उन्हें महिला अधिकारों की पुरजोर वकालत करने वाली शख्सियत के रूप में भी जाना जाता है। उन्होंने बड़े स्तर पर महिला अधिकारों के लिए आवाज उठाई। ‘श्रीमती’ के नाम से एक पत्रिका निकाली जिसमें उन्होंने महिला अधिकारों से जुड़े मुद्दों को गंभीरता से उठाया। 20 जुलाई 1996 को अन्ना चांडी का निधन हो गया।

अन्य अहम घटनाएं:

1767: कर्नाटक संगीत के सुप्रसिद्ध संगीतज्ञ त्यागराज का जन्म।

1799: मैसूर के शासक टीपू सुल्तान का निधन।

1902: कर्नाटक के प्रथम मुख्यमंत्री केसी रेड्डी का जन्म।

1957ः भारतीय इतिहासकार हेमचंद्र राय चौधरी का निधन।

2008ः मशहूर तबला वादक पंडित किशन महाराज का निधन।

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