इतिहास के पन्नों में : 12 मई – मानसिक क्रांति के हिमायती

दर्शन और आध्यात्म के क्षेत्र की विलक्षण शख्सियतों में शामिल जिद्दू कृष्णमूर्ति का जन्म 12 मई 1895 को आंध्र प्रदेश के चिन्तूर जिले के मदन पल्ली नामक स्थान पर हुआ। वे दर्शन और आध्यात्मिक विषयों के लेखक व दुनिया भर में जाने-माने प्रवचनकार थे।

जे कृष्णमूर्ति मानते थे कि मानव को मानसिक क्रांति की जरूरत है और ऐसी क्रांति किसी वाह्य कारकों से संभव नहीं, वह चाहे धार्मिक, राजनीतिक या सामाजिक क्यों न हो। उन्होंने आत्मज्ञान पर जोर दिया।

प्रकृति से बेहद प्रभावित जे कृष्णमूर्ति का कहना था कि मृत्यु दो प्रकार की होती है- शरीर की मृत्यु व मन की मृत्यु। शारीरिक मृत्यु अनिवार्य घटना है, जबकि मन की मृत्यु ही वास्तविक मृत्यु है।

उन्होंने अपने प्रवचनों के जरिये जीवन व समाज के हर क्षेत्र और विषय पर विचार प्रकट किए। मौजूदा शिक्षा पद्धति के बारे में उन्होंने कहा कि यह शिक्षा भय पर आधारित है, जीवन के हर पक्ष पर भय की छाया रहती है और भयभीत व्यक्ति में मेधा का अभाव होता है।

1986 में अमेरिका में रह रहे जे कृष्णमूर्ति ने 91 वर्ष की उम्र में देह का त्याग किया। कृष्णमूर्ति के नाम पर उनके शिष्यों ने भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी स्कूलों की स्थापना की। उनके बहुत सारे प्रवचनों का संकलन हिंदी अनुवाद के साथ उपलब्ध है, जिसमें ‘शिक्षा और संवाद’, ‘शिक्षा और जीवन का तात्पर्य’, ‘सीखने की कला’, ‘ध्यान’, ‘प्रेम’ आदि प्रमुख हैं।

अन्य अहम घटनाएं:

1459: जोधपुर की स्थापना।

1666: पुरंदर की संधि के तहत छत्रपति शिवाजी महाराज, औरंगजेब से मिलने आगरा पहुंचे।

1820: आधुनिक नर्सिंग आंदोलन की जन्मदाता फ्लोरेन्स नाइटिंगेल का जन्म।

1875: दार्शनिक व हिंदू दर्शन के अध्येता कृष्णचंद्र भट्टाचार्य का जन्म।

1942: आश्विट्ज में गैस चैंबर में डालकर 1500 यहूदियों की हत्या की गई।

1954: तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी का जन्म।

1989: भारतीय महिला क्रिकेट खिलाड़ी शिखा पांडे का जन्म।

1993: हिंदी के प्रसिद्ध कवि शमशेर बहादुर सिंह का निधन।

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