गणित में बेहद कमजोर मगर परिंदों की जुबान के माहिर। पक्षियों की चहचहाहट को कुदरत का संगीत और रंग-बिरंगी चिड़ियों को प्रकृति का गहना मानने वाले डॉक्टर सलीम अली के जन्मदिन 12 नवंबर 1896 को राष्ट्रीय पक्षी दिवस मनाया जाता है।
विश्वविख्यात पक्षी विज्ञानी और प्रकृतिवादी डॉ. सलीम अली ने भारत में पहली बार पक्षियों का स्वतंत्र अध्ययन और सर्वेक्षण कर पक्षियों के उन नस्लों की पहचान की जो विलुप्त होने की कगार पर हैं। बंबई में पैदा हुए डॉ. सलीम अली महज 10 साल की उम्र में चिड़ियों की तरफ आकृष्ट हुए। बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के सचिव डब्लू एस मिलार्ड की निगरानी में उन्होंने पक्षियों का अध्ययन शुरू किया। इस अध्ययन में उन्होंने असामान्य रंग वाली गोरैया की पहचान की।
पक्षियों के संरक्षण की पुरजोर हिमायत करने वाले डॉ. सलीम अली ने जीवन का करीब 65 साल इन अध्ययनों पर ही बिताया। उन्होंने इस विषय पर कई पुस्तकें लिखीं जिसमें `बर्ड्स ऑफ इंडिया’ सबसे ज्यादा सराही गई। पक्षियों के मामले में उन्हें चलता-फिरता शब्दकोष और बर्डमैन ऑफ इंडिया भी कहा जाता है। उन्हें 1958 में पद्म भूषण और 1976 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। 27 जुलाई 1987 को 91 साल की उम्र में डॉ. सलीम अली का निधन हो गया।