इतिहास के पन्नों मेंः 04 नवंबर – ..जिन्होंने अपने लहू से लिखी शौर्य की गाथा

देश पर जान न्योछावर करने वाले वीर सपूतों का जब कभी जिक्र होगा, मेजर सोमनाथ शर्मा का नाम स्वर्णाक्षरों में शुमार होगा। 31 जनवरी 1923 को हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में जन्मे मेजर सोमनाथ शर्मा भारतीय सेना की कुमाऊं रेजिमेंट की चौथी बटालियन की डेल्टा कंपनी के कमांडर थे। वे 3 नवंबर 1947 की देर रात कश्मीर में पाकिस्तानी घुसपैठियों से लोहा लेते हुए वीरगति को प्राप्त हुए। मरणोपरांत उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। परमवीर चक्र पाने वाली वे प्रथम व्यक्ति हैं। संयोगवश मेजर शर्मा के भाई की पत्नी सावित्री बाई खानोलकर ने ही परमवीर चक्र की डिजाइनर थीं।

मेजर शर्मा के पिता अमरनाथ शर्मा की भी सैन्य अधिकारी थे और उनके छोटे भाई विश्वनाथ शर्मा भारतीय सेना के 14वें सेनाध्यक्ष थे। बर्मा में दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान वे अराकन अभियान में जापानी सेनाओं के विरुद्ध लड़े। अराकन अभियान में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए मेन्शंड एन डिस्पैचेस में स्थान मिला।

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