प्रख्यात भारतीय अमेरिकी वैज्ञानिक डॉ. हरगोविंद खुराना को 16 अक्टूबर 1968 को मेडिसिन के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्हें यह पुरस्कार मार्शल डब्लू निरेनबर्ग और रॉबर्ट डब्लू होली के साथ संयुक्त रूप से मिला। न्यूक्लिक एसिड में न्यूक्लियोटाइड का क्रम खोजने के लिए (जिसमें कोशिका के अनुवांशिक कोड होते हैं और प्रोटीन के सेल के संश्लेषण को जो नियंत्रित करता है) यह सम्मान हासिल हुआ। वे भारतीय मूल के पहले वैज्ञानिक बने जिन्हें नोबेल पुरस्कार मिला।
09 जनवरी 1922 को अविभाजित भारत के मुल्तान (वर्तमान में पाकिस्तान) के रायपुर में पैदा हुए डॉ. हरगोविंद खुराना ने जीन इंजीनियरिंग यानी बायोटेक्नोलॉजी की नींव रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पंजाब विवि से बीएससी और एमएससी (ऑनर्स) करने वाले डॉ. खुराना को छात्रवृत्ति मिली और वे इंग्लैंड के लिवरपूल विवि से डॉक्टरेट की उपाधि ली। खास बात यह है कि इतनी शिक्षा के बावजूद डॉ. खुराना को उस समय अपने देश में नौकरी नहीं मिली और उन्हें इंग्लैंड का रुख करना पड़ा। आगे चलकर उन्होंने तीन विश्वविख्यात विश्वविद्यालयों के संकाय में कार्य किया। शोधकार्यों के लिए उन्हें दुनिया भर के विभिन्न पुरस्कार और सम्मान हासिल हुए। 9 नवंबर 2011 को अमेरिका में इस महान वैज्ञानिक का निधन हो गया।