चित्र परिचय : तीन मूर्ति स्थित प्रधानमंत्री संग्रहालय के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में पुस्तक का विमोचन करते केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान (बाएं से दूसरे)। साथ हैं साहित्य अकादमी के अध्यक्ष माधव कौशिक, संस्कृति मंत्रालय के सचिव अरूनीश चावला व पुस्तक के संपादक डॉ. प्रेमशंकर त्रिपाठी
◆ विद्वता-विनम्रता ने विष्णुकांत शास्त्री को बनाया लोकप्रिय : धर्मेंद्र प्रधान
नयी दिल्लीः ‘विद्वत्ता व विनयशीलता के साथ ही विश्वसनीयता ने पंडित विष्णुकांत शास्त्री को लोकप्रिय बनाया। वह सारस्वत साधक और बहुआयामी सक्रियता से भरे सुसंस्कृत जीवन को एक प्रतिमान के रूप में स्थापित करने वाले राजनेता थे। प्राचीन से अद्यतन तक का साहित्य उनके विचार और आलोचना का विषय बना। इतना बड़ा आयाम दुर्लभ है और उसमें समान पैठ तो अति दुर्लभ है। यह विशेषता आचार्य शास्त्री को परंपरा पोषक वाली सोच के विद्वानों और नई पीढ़ी दोनों से जोड़ती है।’ केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने यह बातें साहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित विष्णुकांत शास्त्री रचना-संचयन के लोकार्पण समारोह में कहीं।
प्रधानमंत्री संग्रहालय में आयोजित इस कार्यक्रम में प्रधान ने कहा कि भारतीय संस्कृति, धर्म, अध्यात्म और साहित्य को आगे बढ़ाने में उनका बड़ा योगदान है। काव्य के प्रति अत्यंत प्रेम उन्हें विशिष्ट बनाता हैं। उनके माध्यम से पहली बार संसद के दर्शन समेत शास्त्री जी से जुड़े कई प्रसंगों का इस मौके पर केंद्रीय मंत्री ने उल्लेख किया।
कार्यक्रम के प्रारंभ में अकादमी के अध्यक्ष माधव कौशिक ने मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, रचना-संचयन के संपादक डा. प्रेमशंकर त्रिपाठी और केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के सचिव अरुनीश चावला का स्वागत अंगवस्त्र एवं अकादमी के प्रकाशन भेंट करके किया।
ध्यातव्य हो कि राज्यसभा के पूर्व सदस्य आचार्य विष्णुकांत शास्त्री हिमाचल प्रदेश व उत्तर प्रदेश के राज्यपाल भी रहे थे। साहित्य अकादमी के सचिव डॉ. के श्रीनिवास राव, अध्यक्ष माधव कौशिक व उपाध्यक्ष डा. कुमुद शर्मा के साथ ही पुस्तक के संपादक डॉ. प्रेमशंकर त्रिपाठी ने शास्त्री जी के व्यक्तित्व तथा पुस्तक के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला।