– भारत ने किया हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल (एचएसटीडीवी) का सफल परीक्षण
– इस प्रौद्योगिकी से कम लागत पर लंबी दूरी की क्रूज मिसाइलों और उपग्रहों का उत्पादन हो सकेगा
नयी दिल्ली : भारत ने ओडिशा तट के कलाम द्वीप से शुक्रवार को हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल (एचएसटीडीवी) का सफल परीक्षण किया। डीआरडीओ की इस प्रौद्योगिकी से भविष्य में कम लागत पर लंबी दूरी की क्रूज मिसाइलों और उपग्रहों का उत्पादन करने में मदद मिलेगी। इस सफल परीक्षण के बाद भारत अब अमेरिका, रूस, चीन के साथ हाइपरसोनिक मिसाइल क्लब में शामिल हो गया है।
भारत ने इससे पहले 07 सितम्बर, 2020 को सफलतापूर्वक हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल (एचएसटीडीवी) का परीक्षण किया था। स्वदेशी रक्षा तकनीक में एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित करने के लिए भारत की यह विशाल छलांग है। आज का यह परीक्षण ओडिशा तट पर कलाम द्वीप से किया गया। यह देश में एक प्रमुख तकनीकी सफलता है। इस परीक्षण के बाद अधिक महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों, सामग्रियों और हाइपरसोनिक वाहनों के विकास का मार्ग प्रशस्त हुआ है। इस उड़ान परीक्षण के साथ हाइपरसोनिक एयर-ब्रीदिंग स्क्रैमजेट तकनीक का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया गया, जिससे भविष्य में हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइलों और वाहनों का विकास होगा।
इस परीक्षण ने भारत को अमेरिका, रूस, चीन के चुनिंदा क्लब में शामिल कर दिया है जिन्होंने पहले ही इस तकनीक का प्रदर्शन किया है। इस परीक्षण का मतलब है कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) अगले पांच वर्षों में स्क्रैमजेट इंजन के साथ एक हाइपरसोनिक मिसाइल विकसित करने की क्षमता हासिल करेगा, जिसमें दो किलोमीटर प्रति सेकंड से अधिक की यात्रा करने की क्षमता होगी। यह स्वदेशी तकनीक ध्वनि की गति से छह गुना गति से यात्रा करने वाली मिसाइलों के विकास की ओर मार्ग प्रशस्त करेगी। एचएसटीडीवी का परीक्षण करने में ओडिशा तट पर कलाम द्वीप से आज सुबह 11.03 बजे अग्नि मिसाइल बूस्टर का इस्तेमाल किया गया।
रक्षा मंत्रालय के एक सूत्र ने कहा कि इस तकनीक से क्रूज मिसाइलें अब हाइपरसोनिक गति से यात्रा कर सकती हैं। स्क्रैमजेट इंजन एक बड़ी सफलता है। इस तकनीक में हवा सुपरसोनिक गति से इंजन के अंदर जाती है और हाइपरसोनिक गति से बाहर आती है। इसमें वाहन एक निश्चित ऊंचाई तक पहुंचता है और फिर परिभ्रमण करने के बाद पुन: प्रवेश के दौरान उच्च तापमान 1,000-2,000 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचता है। सूत्र ने बताया कि एंटी-सैटेलाइट टेस्ट के बाद यह हाल की सबसे बड़ी उपलब्धि है।
स्क्रैमजेट के ईंधन इंजेक्शन और ऑटो इग्निशन जैसी महत्वपूर्ण घटनाओं ने तकनीकी परिपक्वता का प्रदर्शन किया। स्क्रैमजेट इंजन ने उच्च गतिशील दबाव और बहुत उच्च तापमान पर काम किया। इस मिशन के साथ डीआरडीओ ने अत्यधिक जटिल तकनीक के लिए क्षमताओं का प्रदर्शन किया है जो उद्योग के साथ साझेदारी में अगली पीढ़ी के हाइपरसोनिक वाहनों के लिए बिल्डिंग ब्लॉक के रूप में काम करेगा। परीक्षण के दौरान स्क्रैमजेट इंजन सहित लॉन्च और क्रूज वाहनों के मापदंडों की निगरानी कई ट्रैकिंग राडार, इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सिस्टम और टेलीमेट्री स्टेशनों से की गई। हाइपरसोनिक वाहन के क्रूज चरण के दौरान प्रदर्शन की निगरानी के लिए बंगाल की खाड़ी में एक जहाज भी तैनात किया गया था।