मुर्शिदाबाद हिंसा के पीछे बांग्लादेशी कट्टरपंथी संगठनों के तार खंगालने में जुटीं खुफिया एजेंसियां

कोलकाता : केंद्र सरकार को मुर्शिदाबाद में हुई सांप्रदायिक हिंसा के पीछे बांग्लादेशी घुसपैठियों की भूमिका को लेकर शुरुआती सुराग मिले हैं। इसके बाद खुफिया एजेंसियां अब इस पूरे मामले में बांग्लादेश के कौन से कट्टरपंथी संगठनों की संलिप्तता हो सकती है, इसका पता लगाने में जुट गई हैं।

सूत्रों के अनुसार, जिन तीन बांग्लादेशी कट्टरपंथी संगठनों पर सबसे अधिक शक है, वे हैं जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी), हिज्ब-उत-तहरीर (एचयूटी) और अंसरुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी)। इन संगठनों की गतिविधियां काफी समय से मुर्शिदाबाद में सक्रिय रही हैं, जो बांग्लादेश से लगी अंतरराष्ट्रीय सीमा वाला जिला है। खासकर जिन इलाकों में इस बार सबसे अधिक हिंसा और तनाव फैला, जैसे कि शमशेरगंज है। वहां की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए अंसरुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी) की भूमिका सबसे अधिक होने की आशंका व्यक्त की जा रही है। शमशेरगंज और धूलियान के उस पार बांग्लादेश का चपाई नवाबगंज जिला है, जिसे एबीटी का गढ़ माना जाता है। यही वजह है कि इन क्षेत्रों में हालिया हिंसा में एबीटी की भूमिका को लेकर खुफिया एजेंसियों की आशंका गहरी हो गई है।

पिछले वर्ष दिसंबर में एबीटी का एक वांछित आतंकी सजिदुल इस्लाम मुर्शिदाबाद से पकड़ा गया था। यह गिरफ्तारी पश्चिम बंगाल पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स और असम पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में हुई थी। सजिदुल इस्लाम एबीटी के ही एक अन्य कुख्यात आतंकी शाद राडी उर्फ शब शेख का चचेरा भाई है, जिसे पिछले साल केरल से गिरफ्तार किया गया था।

इसके बाद से केंद्रीय खुफिया एजेंसियों को लगातार इनपुट मिल रहे थे कि एबीटी के आतंकी मुर्शिदाबाद और उससे लगे नदिया जिले में अपनी गतिविधियां बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, जो बांग्लादेश से लगी सीमा पर स्थित हैं और जहां से घुसपैठ करना अपेक्षाकृत आसान है। इन तमाम इनपुट के आधार पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मौजूदा हालात की समीक्षा शुरू कर दी है। साथ ही केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल की मौजूदगी के बाद से मंगलवार से मुर्शिदाबाद में स्थिति धीरे-धीरे सामान्य होने लगी है।

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