West Bengal : अंतरराष्ट्रीय व्यावहारिक अनुवाद एवं सृजन कार्यशाला का भव्य आयोजन

नैहाटी : काजी नजरुल विश्वविद्यालय, आसनसोल एवं उमा फाउंडेशन, नैहाटी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित 23 मार्च 2025 को अंतरराष्ट्रीय व्यावहारिक अनुवाद एवं सृजन कार्यशाला का भव्य शुभारंभ हुआ। इस सात दिवसीय कार्यशाला में देश-विदेश के विद्वान एवं प्रतिभागी हिंदी भाषा, अनुवाद, और सृजनात्मक लेखन की बारीकियों पर चर्चा किया। कार्यशाला के पहले दिन हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार, रोजगार के अवसर, और साहित्यिक योगदान पर गहन विमर्श हुआ। सुंदर संचालन और विषय का प्रवेश कराते हुए श्री हेमंत कुमार यादव (अनुवादक, आईआईटी, भुवनेश्वर) ने बंगाल के ऐतिहासिक-सांस्कृतिक-साहित्यिक तथ्यों को उजागर किया।

कार्यशाला का उद्घाटन प्रो. (डॉ.) सजल कुमार भट्टाचार्य, संकायाध्यक्ष, कला संकाय, काजी नजरुल विश्वविद्यालय के द्वारा किया गया। उन्होंने अपने उद्घाटन भाषण में हिंदी भाषा की वैश्विक उपस्थिति और उसके विकास की संभावनाओं पर प्रकाश डालते हुए अङ्ग्रेज़ी, बंगला और हिन्दी तीनों भाषाओं के सामासिकता और अनुवाद के पहलुओं पर अपने वक्तव्य को रखा और कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए आशीष वचनों से विभूत भी किया।
प्रो. विजय कुमार भारती, प्रोफेसर, हिंदी विभाग, काजी नजरुल विश्वविद्यालय, ने हिंदी भाषा शिक्षण में डिजिटल तकनीकों की भूमिका पर विस्तृत चर्चा की।

उन्होंने बताया कि ई-लर्निंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से हिंदी भाषा को वैश्विक स्तर पर अधिक प्रभावी तरीके से फैलाया जा सकता है। कार्यशाला के द्वारा अनुवाद और अनुवादक के भाषिक, व्याकरणिक और सामासिक शैली को उन्नत बनाया जा सकता।

डॉ. काजू कुमारी साव, सहायक प्राध्यापक, हिंदी विभाग ने अनुवाद अध्ययन और NEP की उपयोगिता पर जोर देते हुए इसे रोजगार से जोड़ने की आवश्यकताओं को बताई। उन्होंने कहा कि अनुवाद केवल भाषा परिवर्तन नहीं, बल्कि सांस्कृतिक सेतु निर्माण का कार्य करता है और रोजगार से भी जोड़ता है।

डॉ. विकास साव, सहायक प्राध्यापक, पांडवेश्वर कॉलेज एवं सचिव, उमा फाउंडेशन ने कार्यशाला की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए बताया कि यह सात दिवसीय कार्यशाला प्रतिभागियों को हिंदी भाषा के विभिन्न आयामों से अवगत कराएगी। उन्होंने कार्यशाला को हिंदी भाषा के विकास में मील का पत्थर बताया।

द्वितीय तकनीकी सत्र में क्रमशः डॉ. अभिजीत सिंह, अध्यक्ष एवं सहायक प्राध्यापक, हिंदी विभाग, विद्यासागर कॉलेज फॉर वूमेन, कोलकाता ने अपने विषय: “हिंदी भाषा एवं साहित्य के विकास में पश्चिम बंगाल का योगदान” पर वक्तव्य रखते हुए कहा कि हिंदी भाषा के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य और पश्चिम बंगाल में इसके प्रचार-प्रसार पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने हिंदी साहित्य और संस्कृति के संवर्धन में पश्चिम बंगाल के योगदान को रेखांकित किया। हिंदी के विकास में बंगाल की सांस्कृतिक विरासत के साथ अन्तःसम्बन्ध और बंगाल की ज्ञान परम्परा में अनुवाद की बुनियादी आवश्यकताओं को भी दिखाया।

श्री धर्मेंद्र कुमार साव, वरिष्ठ हिंदी अनुवादक, भारतीय खाद्य निगम, भारत सरकार ने अपने विषय: “हिंदी भाषा में रोजगार के अवसर” पर रखते हुए कहा कि अनुवाद एवं सृजनात्मक लेखन के माध्यम से रोजगार के अवसरों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि हिंदी अनुवादकों और लेखकों के लिए सरकारी एवं निजी क्षेत्रों में असीम संभावनाएँ हैं। अनुवादक बनने के लिए जो जो बुनियादी जरूरत हैं उन सब पर बारीकी के साथ प्रकाश डाला और विद्यार्थियों द्वारा किए गए जिज्ञासाओं का समाधान भी किया।

तकनीकी सत्रों का संचालन सिंटू प्रसाद, शोधार्थी, विश्वभारती के द्वारा किया गया। इस कार्यशाला में विदेश से भी कई अध्यापक अध्यापन के लिए जुड़ेंगे। कार्यशाला में तथा संगोष्ठी में देश विदेश के प्रतिभागी बढ़-चढ़कर भाग लिया। कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन उमा फ़ाउंडेशन के सचिव डॉ विकास ने किया।

सात दिवसीय कार्यशाला के अंतिम दिन, 29 मार्च 2025 को अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी एवं समापन समारोह आयोजित किया जाएगा। इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में “हिंदी भाषा एवं साहित्य के विकास में पश्चिम बंगाल का योगदान” पर चर्चा करते हुए हिंदी भाषा के विकास, अनुवाद के नए आयाम, और सृजनात्मक लेखन पर गहन चर्चा होगी। इस कार्यक्रम में बतौर प्रमुख अतिथि के रूप में बैरकपुर लोकसभा क्षेत्र के सांसद श्री पार्थ भौमिक, नैहाटी पौरसभा के पौर प्रधान श्री अशोक चटर्जी, नैहाटी विधानसभा के विधायक श्री सनत दे, भाटपाड़ा के सी इ सी श्री अमित गुप्ता के साथ साथ अकादेमिक सत्र में प्रो. (डॉ) ओमप्रकाश मिश्र, जादवपुर विश्वविद्यालय, प्रो (डॉ) राजश्री शुक्ल, कलकत्ता विश्वविद्यालय, विभिन्न महाविद्यालयों के प्राध्यापक-प्राध्यापिका, विभिन्न संस्थानों के अनुवादक, शिक्षकगण, शोधार्थी और विद्यार्थी गण उपस्थित रहेंगे।

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