West Bengal : अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला और अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का भव्य समारोह सम्पन्न

नैहाटी : काजी नजरुल विश्वविद्यालय, आसनसोल एवं उमा फाउंडेशन, नैहाटी के संयुक्त तत्वावधान में 23 मार्च 2025 से प्रारंभ हुई सात दिवसीय अनुवाद-सृजन कार्यशाला का समापन एवं एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन 29 मार्च 2025 को भव्य रूप से संपन्न हुआ। इस कार्यशाला का उद्देश्य भाषा, अनुवाद एवं साहित्य सृजन के क्षेत्र में गहन अध्ययन एवं विमर्श को बढ़ावा देना था। इसमें देशभर के प्रतिष्ठित विद्वानों, शिक्षकों, शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों ने भाग लिया। यह कार्यशाला नई शिक्षा नीति के अंतर्गत कौशल विकास कार्यक्रम के दिशा-निर्देशों के अनुरूप संचालित की गई तथा कार्यशाला में ‘अनुवाद एवं सृजनात्मक लेखन कौशल’ के विकास पर विशेष बल दिया गया है । “हिंदी भाषा एवं साहित्य के विकास में पश्चिम बंगाल का योगदान” विषय पर आयोजित एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत सामुदायिक सहभागिता, साझी संस्कृति और भारतीय ज्ञान प्रणाली को बढ़ावा देना एवं भारतीय संस्कृति की सामासिकता एवं समावेशिकरण के क्रियान्वयन का प्रसार करना था । इस ऑफलाइन संगोष्ठी में लगभग 350 से अधिक शिक्षण संस्थानों से 1097 प्रतिभागियों ने पंजीयन कराया था; जबकि ऑनलाइन कार्यशाला में 149 प्रतिभागियों ने ऑनलाइन प्रतिभागिता की।

इस सात दिवसीय कार्यशाला में अनुवाद की प्रक्रिया, तकनीकी अनुवाद, साहित्यिक अनुवाद की चुनौतियाँ, बहुभाषी भारत में अनुवाद की प्रासंगिकता और अनुवादक के रूप में करियर की संभावनाओं पर विशेष ध्यान दिया गया। इस सात दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन काजी नजरुल विश्वविद्यालय के कला-संकायाध्यक्ष प्रोफेसर सजल कुमार भट्ठाचार्य ने किया । उद्घाटन सत्र में प्रमुख वक्तव्य प्रोफेसर विजय कुमार भारती ने दिया । उक्त अवसर का संचालन कार्यशाला के बाहरी विषय विशेषज्ञ श्री हेमंत कुमार यादव, अनुवादक, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान ने किया । उक्त अवसर पर सहायक प्राध्यापिका डॉ. काजू कुमारी साव और पंडवेश्वर कॉलेज के हिंदी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. विकास कुमार साव उपस्थित थे। इस कार्यशाला का संचालन देश के प्रतिष्ठित शिक्षकों एवं अनुवाद विशेषज्ञों द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम के प्रमुख मेंटर्स में सेवानिवृत्त अधिकारी, भारतीय पुलिस सेवा एवं वरिष्ठ साहित्यकार श्री मृत्युंजय कुमार सिंह जी, डॉ. विक्रम कुमार साव, सहायक प्राध्यापक, बैरकपुर राष्ट्रगुरु सुरेंद्रनाथ कॉलेज, डॉ. अभिजीत सिंह, सहायक प्राध्यापक, विद्यासागर कॉलेज फॉर वूमेन, श्री धर्मेन्द्र साव, अनुवादक, भारतीय खाद्य निगम, डॉ. विनय शुक्ला, अनुवादक, कर्मचारी राज्य बीमा निगम, श्री अनूप कुमार साव, अनुवाद अधिकारी,भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण कार्यालय, श्री निशांत कुमार, आई.आई.एस.इ.आर., श्री शक्तिवीर सिंह, राजभाषा अधिकारी, गेल, श्री विष्णु विश्नोई, राजभाषा अधिकारी, इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड, श्री दीपक कुमार साव, भाषा शिक्षण संस्था, डॉ. मंटू कुमार साव प्रमुख रूप से शामिल रहे। इसके अतिरिक्त, इस संगोष्ठी में प्रसिद्ध पत्रकार और संचार विशेषज्ञ हरिन्दर मिश्र, जो वर्तमान में प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (PTI) में प्रिंसिपल कॉरेस्पोंडेंट के रूप में कार्यरत हैं, ने भी अपनी उपस्थिति की असमर्थता जताते हुए कार्यशाला एवं संगोष्ठी के लिए अपना शुभकामना संदेश प्रेषित किया।

29 मार्च 2025 को इस कार्यशाला के समापन के अवसर पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में बैरकपुर के सांसद श्री पार्थ भौमिक उपस्थित रहे। अपने उद्घाटन भाषण में उन्होंने हिंदी भाषा की वैश्विक उपस्थिति और बंगाल के साथ इसके सांस्कृतिक संबंधों पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर नैहाटी विधान सभा के माननीय विधायक सनत दे भी उपस्थित हुए एवं शुभकामनाएं देकर उत्साहवर्धन किया । उक्त अवसर पर नैहाटी पौरसभा से कनहाई लाल आचार्य और भाटपाड़ा के सीईसी श्री अमित गुप्ता भी उपस्थित थे। कार्यक्रम की आरंभ सांसद पार्थ भौमिक और प्रो. ओमप्रकाश मिश्र के द्वारा दीप प्रज्वलन और बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय को माल्यार्पण देकर किया गया । तनिशा साव के द्वारा सरस्वती वंदना की प्रस्तुति की गई ।
अकादमिक सत्र में विद्वानों ने हिंदी भाषा एवं साहित्य में बंगाल के योगदान पर विस्तृत चर्चा की। डॉ. राजश्री शुक्ल ने बंगाल में हिंदी साहित्य के विकास पर अपने विचार रखते हुए ऐतिहासिक परिदृश्य को सामने रखा और साहित्यिक तथा सांस्कृतिक पहलुओं पर प्रकाश डाला। प्रो. विजय कुमार भारती ने हिंदी भाषा के विकास में बंगाल के सामाजिक और राजनीतिक घटनाओं की भूमिका पर चर्चा की। वहीं, डॉ. ओम प्रकाश मिश्रा ने साहित्य में वैज्ञानिकता और संवेदना के संतुलन पर जोर दिया।

इस कार्यक्रम को और भी मनोरम बनाने के लिए नृत्यम कला मंदिर द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ दी गईं, जिसने सभी दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस कार्यशाला एवं संगोष्ठी में विभिन्न विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों एवं विद्यालयों के 1092 विद्यार्थियों एवं 147 शिक्षकों ने भाग लिया।

इस अवसर पर डॉ. विकास साव (सचिव, उमा फाउंडेशन) ने कार्यक्रम का संचालन किया एवं डॉ. मंटू कुमार साव ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

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